बाड़मेर। हथियार सप्लाई का सरगना, लूट, डकैती, 25 हजार रुपए के इनामी को नागौर के गोटन इलाके से जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोपी साधु के वेश में धुणी लगाकर लोगों का ठग रहा था। पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी पिता की मौत का बदला लेने के लिए हथियार चलाना और बनाना सीखा। इसके बाद महाराष्ट्र नासिक में जादू-टोना सीखा और भीमदान से भैरूगिरी बनकर धुणी लगाकर लोगों को ठगने लगा। आरोपी के खिलाफ तीन जिलों में एक दर्जन मामले सामने आए है। फिलहाल क्राइम रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।
आईजी ने बताया कि करीब 2010 की बात है। पिता की मौत की कहानी पर फिलहाल चुप्पी साध रहा है। लेकिन प्रारंभिक क्राइम के दलदल में घुसने के पीछे कारण पिता का मौत का बदला लेने के लिए हथियार चलाना और बनाना सीखा। लेकिन अपने टारगेट से हटकर हथियारों की सप्लाई करने में लग गया। भीमदान के परिवार के जन देशनोक मंदिर में पुजारी की श्रृंखला में भी है। एक जरिया कमाई का यह होने कके साथ खेती है। अभी जो बाबागिरी चल रही थी। उसकी कमाई का कोई लेखा-जोखा तो नहीं है। जीवन मजे से कट रहा था। पुरानी गाडियों को बेचने का भी कारोबार करने का भी सामने आया है।
खुद की पहचान बदलकर लोगों और पुलिस को धोखा दे रहा
आई जी ने कहा कि खुद की पहचान बदलकर लोगों और पुलिस दोनों को धोखा दे रहा था। आरोपी ने खुद के हुलिया बिल्कुल बदल दिया। आम और नंगी आंखों से पुराने भीमदान और अब के भीमदान को पहचान बड़ा ही मुश्किल है।
ऑपरेशन का नाम गयावेदी
जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम को आपरेशन गयावेदी के रूप में 60वीं सफलता हाथ लगी है। गयावेदी ऑपरेशन रखने के पीछे शास्त्रों के भीम ने अपनी और पितरों की संतुष्टि के लिए गया में जाकर वेदी बनाई थी और पिंडदान किया था। इसका नाम भीमदान था यह भी शांति के लिए कर रहा था। यहां से बाहर जाकर पितरों और खुद की शांति के लिए कर रहा था।
पिता की मौत का बदला लेने और दिल में प्रतिशोध की भावना थी।
आईजी विकास कुमार ने बताया- आरोपी भीमदान उर्फ भवदान पुत्र मोहनदान निवासी देशनोक बीकानेर के दिल में पिता की मौत का बदला लेने की प्रतिशोध की आग जलती रही। धीरे-धीरे उस आग ने पूरे जीवन को ले लिया। प्रतिशोध पूरा हुआ या नहीं इसको लेकर पूछताछ की जा रही है। मौत का बदला लेने के लिए उसने हथियार चलाना सिखा और बनाना सीखा है। हथियार से बदला तो नहीं ले पाया लेकिन बहुत सारे रुपए कमा लिए। उससे भी संतुष्टि नहीं हुई तो पितरों के आत्मा की संतुष्टि के लिए जादू टोना सीखा।
मध्यप्रदेश के अमरावती में हथियार बनाना सीखा
मध्यप्रदेश के अमरावती इलाके में फर्नीचर काम करने गया। वहां उसने तथाकथित चाचा से हथियार बनाना सीखा। हथियार बनाने की कला को लेकर इस इलाके में आया। चुरू, नागौर, जोधपुर, बीकानेर पूरे इलाके में हथियारों के सप्लाई और हथियार सरगना के रूप में काम करने लगा। अनगिनत हथियार चाहे वो 12 बोर, 32 बोर अनगिनत हथियार मार्केट में सप्लाई की। कई बार पकड़ा गया। उन्ही हथियारों से हत्या का प्रयास, लूट, डकैती जेसी करीब एक दर्जन घटनाएं की। आखिरी घटना जो संज्ञान में आई, जैसलमेर के रामदेवरा में 2 लाख रुपए की लूट हथियारों के सहारे की गई। इसके बाद उसको लगा कि पुराने और इन मुकदमों में हमारी पूरी जिंदगी जेल में गुजर जाएगी। तब शांति और स्वाहन का रूप धारण किया।
महाराष्ट्र के नासिक में ढाई साल तक सिखा जादू टोना
आईजी विकास कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र के नासिक मरपर्वत इलाके में जाकर उसने जादू टोना सीखा। करीब ढाई साल तक यहां पर जादू टोना, गुर पंती, झाड़-फूंक सीखा। उसके बाद राजस्थान के चुरू, नागौर, गोटन, जोधपुर ग्रामीण, बीकानेर के इलाकों में कई जगह अपनी धूनी बनाई। खूब चेले बनाए। भीमदान बन गया भैरूगिरी। भैरूगिरी बाबा बनकर अगौर पंती, जादू-टोना, झाड़-फूंक करके लोगों को वश में करके शांति के नाम पर रुपए दीक्षा के रूप में लेता रहा। अपनी पहचान छीपा कर नई जिंदगी जीता रहा।
पांच साल से फरार था
आईजी ने बताया- आरोपी भीमदान करीब 5 साल तक फरार रहा। पुलिस टीम उस तक पहुंचने के लिए करीब एक माह तक मशक्कत करनी पड़ी। यह आरोपी शातिर था। इसने अपना मोबाइल चलाना बंद कर रखा था। जो भी यजमान होते थे, उनके पास पहुंचता था। यजमानों के फोन से फोन करवाता था। लोगों से संपर्क करता रहता था। काफी समय से इसकी धुनी नागौर गोटन इलाके में थी। साइक्लोनर टीम काफी समय से इसके पीछे घूम रही थी।
पुलिस ने टीम यजमान बनकर बताई समस्याए
आरोपी तक पहुंचने के लिए पुलिस टीम गोटन के यजमान के जरिए उस तक पहुंची, और उनको अपनी समस्याएं बताई। समाधान के लिए बाबा के शरण में जाना हुआ। बड़े ही गुप्त् तरीके से यजमान बनी टीम खारिया और जोधपुर जिले के बॉर्डर इलाके में पहुंची।
साधु वेश में मिले बाबा
यजमान टीम जब वहां पर पहुंची तो सांधु वेश में यत्र, तंत्र और मंत्र अपने पास में लेकर बैठे हुए थे। इससे पहले अपनी कला हम पर दिखाते उससे पहले साइक्लोर टीम ने उसके ओरिजनल नाम से आवाज दी तो असहज हो गया। इसके बाद टीम ने उसको शिकजे में लिया।