सांचौर। जालोर-सिरोही से पूर्व सांसद देवजी पटेल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के सांचौर को जिला बनाने के फैसले को कलंक बताया है। पूर्व सांसद देवजी पटेल ने कहा- जिस दिन जिले(सांचौर) की नींव रखी गई, उस दिन मुहूर्त भी शायद इन्होंने सही नहीं निकाला था।। देवासी समाज के बेटे की उसी दिन हत्या हुई थी। अब सरकार ने वो कलंक मिटाया है।
सांचौर में गुरुवार को अपने निवास पर प्रेसवार्ता के दौरान पटेल ने कहा- कांग्रेस की सरकार ने आनन-फानन में जिले बनाए। जब जिले बने और जिले बनने का नोटिफिकेशन जारी होने के बीच काफी गैप था। बाद में रानीवाड़ा और बागोड़ा में धरना प्रदर्शन हुए।
सरकार ने जब जिले बनाए तो बागोड़ा को रानीवाड़ा से जोड़ा और कहा कि डिप्टी का ऑफिस रानीवाड़ा लगेगा। रानीवाड़ा की पंचायत और सांचौर विधानसभा को तोड़ मरोड़कर जिला बनाने की कोशिश की। सांचौर जिला बनने के बाद रानीवाड़ा और बागोड़ा में धरने हुए थे।
तकनीकी पहलुओं का नहीं रखा ध्यान
पटेल ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुखराम बिश्नोई से भी कहा था कि आप रात को सोए और सुबह जिला बना दिया। तकनीकी पहलुओं को देखे बिना, लोगों को विश्वास में लिए बिना, जनता की आपत्ति को सुने बिना ये जो जिले बनाए, जिसके कारण लोग सांचौर के साथ नहीं आना चाहते थे। हम आज भी इस विषय पर सरकार से चर्चा कर रहे हैं कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए। लेकिन जो तकनीकी कारणों की कमी कांग्रेस की सरकार ने रखी, उन कारणों को खत्म करते हुए ये जिले पुनर्जीवित किए जाए।
सांचौर जिला वापस बने, लेकिन वो शांत और सुंदर हो
आज हम चाहते है कि सांचौर वापस जिला बने, लेकिन एक शांत और सुंदर जिला। जो यहां के लोगों ने कल्पना की है, वह बनें। यहां पर नशे का व्यापार बहुत बढ़ गया, उस पर अंकुश के लिए पाकिस्तान सीमा और जालोर की दूरी को ध्यान में रखते हुए यहां जिले का निर्माण हो। जिले में जो भी समावेश हो वो खुशी-खुशी सांचौर आए। सब कहे कि सांचौर अच्छा है। जिसको बनाने के लिए लोगों के साथ भाजपा का हर कार्यकर्ता खड़ा है।
दो दिन पहले समीक्षा को लेकर लिखा था पत्र
पूर्व सांसद पटेल ने एक दिसंबर को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखा था। जिसमें जिला निरस्त करने की समीक्षा करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इस फैसले से लोगों को परेशानी होगी, ऐसे में इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। क्योंकि जालोर जिला मुख्यालय से दूरी के कारण लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने मांग की थी कि जिला खत्म करने के फैसले की पुनः समीक्षा होने तक प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एडीएम कार्यालय खोला जाए।
अब राजस्थान में 50 नहीं, 41 जिले ही रहेंगे
गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिलों को भजनलाल सरकार ने निरस्त कर दिया। वहीं, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, फलोदी और सलूंबर जिले बने रहेंगे। इसके साथ ही पाली, सीकर, बांसवाड़ा संभाग भी खत्म कर दिए गए हैं।
राजस्थान में 50 जिले थे। भजनलाल सरकार के फैसले के बाद अब राज्य में 41 जिले ही रह जाएंगे। वहीं 10 संभाग की जगह 7 संभाग अस्तित्व में रहेंगे।