भरतपुर। खनिज संपदा के लिहाज से समृद्ध राजस्थान में अवैध खनन की बड़ी समस्या है। तमाम प्रयास और अभियानों के बावजूद इस पर अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही। अब तकनीक व दूसरे राज्यों के नवाचारों को यहां भी लागू कर सरकार का राजस्व बढ़ाया जाएगा। खासकर आने वाले समय में खनन और उसके परिवहन में प्रयुक्त होने वाले सभी वाहनों का विभाग में पंजीकरण कराना जरूरी होगा। फिर उन सभी वाहनों में जीपीएस लगाया जाएगा। ताकि उनके मूवमेंट के बारे में पता लगाया जा सके।
प्रत्येक वाहन पर आरएफआईडी यानी रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन टैग भी लगाए जाएंगे। इन तीनों सुविधाओं वाले वाहन ही धर्म कांटे व रॉयल्टी नाके पर जा सकेंगे। इनके अलावा खनिज पदार्थों से भरे अन्य वाहन अवैध की श्रेणी में माने जाएंगे। उन्हें पकड़कर परिवहन विभाग और पुलिस को सौंपा जाएगा। जुर्माना किया जाएगा। इस तरह की कार्रवाई व व्यवस्था गोवा व कर्नाटक में बरसों से चल रही है। वहां इससे अवैध खनन को रोकने में काफी सफलता मिली है।
गाेवा में 2018 से वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य किया गया है। खनन से जुड़े वाहन मालिकों को पंजीकरण की सुविधा ऑनलाइन दी गई है। अब इसी तरह राजस्थान में भी इस सिस्टम को लागू किया जाएगा। दूसरी ओर कर्नाटक में वाहनों की ट्रैकिंग के लिए आरएफआईडी टैग सिस्टम बना रखा है। यह प्रणाली चिप कोड के आधार पर वाहनों के मूवमेंट को पकड़ लेती है। इससे यह पता चल जाएगा कि वाहन खान से बाहर किस दिशा में जा रहा है।
अल्जाइमर के मरीजों के लिए भी इस तकनीक का हो रहा इस्तेमाल
आरएफ़आईडी में रेडियो तरंगें कोड के आधार पर वस्तुओं की पहचान कर लेती हैं। इसमें एक चिप और एंटीना होगा। आरएफ़आईडी रीडर तरंगों के माध्यम से जानकारी को संबंधित संस्थान के कंप्यूटर सर्वर तक पहुंचा देता है। वर्तमान में इस तकनीक का इस्तेमाल कई जगह किया जा रहा है। बिजनेस में, वाहनों की ट्रैकिंग, कर्मचारी की निगरानी, हाइवे टोल, स्कूल-कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में भी काम लिया जा रहा है। अल्जाइमर के रोगियों के मूवमेंट में भी यह तकनीक काफी कारगर साबित हो रही है।
अवैध खनन से कई जगह से खोखली हो गई अरावली
अरावली की पहाड़ियों को भी कई जगह से अवैध खनन माफिया ने खोद दिया है। सबसे अधिक हरियाली वाले उदयपुर में सबसे अधिक खनन होता है। जयपुर, जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, अजमेर, कोटा सहित खनिज पदार्थों वाले हर जिले में अवैध खनन को लेकर कई मामले सामने आते रहे हैं। कई जिलों में खनन माफिया पुलिस व प्रशासन के लोगों पर जानलेवा हमले तक कर चुके हैं। अवैध खनन से न केवल सरकार को करोड़ों की राजस्व हानि हो रही है, बल्कि पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है। मौजूदा सरकार ने अवैध खनन माफिया के खिलाफ अभियान भी चलाया था। इस अभियान के दौरान तो माफिया शांत हो गए, लेकिन बाद में दोबारा से अवैध खनन में लग गए।