जिला परिषद अलवर ने जयपुर संभागीय आयुक्त के पत्र को 6 महीने दबाया, अब मांगी रिपोर्ट
जिला परिषद अलवर के खेल निराले हैं। यहां ना उच्च अधिकारियों के आदेश प्रभावी है , ना ही राज्य सरकार के । ऐसा ही एक मामला अब यहां देखने में आया है जिसमें इस साल फरवरी में जयपुर संभागीय आयुक्त की ओर से एक गंभीर मामले जांच रिपोर्ट तत्काल मांगने के लिए जिला परिषद अलवर को पत्र लिखा गया था । संभागीय आयुक्त जयपुर के पत्र को मुख्य कार्यकारी अधिकारी की ओर से 26 फरवरी को ही जिला परिषद के सहायक विकास अधिकारी को मार्क करके आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए लेकिन संबंधित अधिकारी ने इसको अपने स्तर पर ही 6 महीने रोके रखा । अब दो दिन पहले 28 अगस्त को जिला परिषद अलवर के सहायक विकास अधिकारी की ओर से संबंधित कर्मचारियों से 7 दिवस में इसकी रिपोर्ट मांगी है ताकि संभागीय आयुक्त को रिपोर्ट भेजी जा सके। उल्लेखनीय है कि इस मामले में संभागीय आयुक्त की ओर से अप्रैल माह में भी स्मरण पत्र जारी किया गया था लेकिन तब भी अधिकारियों का ध्यान फरवरी माह में आए पहले पत्र पर नहीं गया ।
*क्या था मामला जिसकी रिपोर्ट मांगी*
दरअसल 30 नवंबर 2022 को जिला परिषद की साधारण सभा में मामला उठाया गया की 14 महत्वपूर्ण पत्रावलियां जो कि जिला प्रमुख की तरफ से तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भिजवाई गई थी वह कार्यालय से गायब है और कार्यालय में नहीं मिल रही है। इस मामले को उठाते हुए मुकदमा दर्ज करने का भी निर्णय लिया गया । इसका उल्लेख जिला परिषद की ओर से साधारण सभा की बैठक करवाई विवरण में भी कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी रही रेखा रानी व्यास द्वारा किया गया । राजनीतिक इशारे पर बाद में किसी अन्य मामले में सिविल सेवा अपील अधिकरण में एक लिपिक पर 14 पत्रावली गायब करने का संदेह कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेखा रानी व्यास ने जताया लेकिन जब एक आवेदक महेश यादव ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 14 गायब पत्रावलियों की जानकारी मांगी तो खुलासा हुआ की ऐसी कोई पत्रावली नहीं थी जो जिला परिषद से गायब हुई हो , बल्कि जिला परिषद द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम में जो सूचना उपलब्ध कराई उससे साफ हुआ कि जो पत्रावली गायब होने की बात थी वह पत्रावली की श्रेणी में होकर कुछ पत्र थे जो जिला प्रमुख की ओर से मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे गए थे । साथ ही सिंगल पेज की कुछ नोटशीट थी जो केवल एक पैरा ही चली हुई थी । यह सभी सूचना भी जिला परिषद की ओर से आरटीआई में दे दी गई जिनको की गायब बताए जा रहा था। खुलासा हुआ कि एक आईएएस मुख्य कार्यकारी अधिकारी और डीआरडीए के लिपिक को फसाने के लिए सारा खेल रचा गया जिसको राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण के सामने पेश कर दिया गया । सबसे हैरानी की बात यह थी कि साधारण सभा में जिस मामले में मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया उस मामले में मुकदमा भी दर्ज नहीं कराया गया । जब यह फर्जी तरीके से रचा गया प्रकरण संभागीय आयुक्त के पास पहुंचा तो संभागीय आयुक्त ने इस फर्जी मामले की रिपोर्ट मांगी लेकिन जिला परिषद अलवर ने इस मामले को भी पहले जैसे मामलों की तरह दबाते हुए इस पर पर्दा डालने की कोशिश की लेकिन अब एक आवेदक ने सूचना के अधिकार अधिनियम में संभागीय आयुक्त से ही इस पत्र पर कार्रवाई की जानकारी मांग ली तो जिला परिषद के सहायक विकास अधिकारी की ओर से अपने पास 6 महीने तक रोके गए इस पत्र पर रिपोर्ट मांगी गई है । आखिर संभागीय आयुक्त जैसे बड़े अधिकारी के पत्रों को भी जिला परिषद के अधीनस्थ अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते हैं । अब देखना होगा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस मामले में क्या संज्ञान लेते हैं।
Author: AKSHAY OJHA
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