जयपुर। संयुक्त संविधान मुक्ति मोर्चा राजस्थान प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर मंगलवार को राजस्थान के समस्त विभागों में कार्यरत संविदा/ निविदा/ प्लेसमेंट कार्मिकों ने शहीद स्मारक पर एकत्रित होकर मृतक संविदा कर्मी मनीष सैनी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार से ऐसी व्यवस्था लागू करने का आग्रह किया जिससे भविष्य में अन्य संविदा कर्मी मनीष सैनी नहीं बने। बता दे कि पिछले दिनों 27 सितंबर को राजस्थान के प्रत्येक संविदाकर्मी को दिलाने वाली एक दुखद घटना हुई थी। जयपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के बी ब्लॉक स्थित भवन में सुबह संविदा कर्मी मनीष कुमार सैनी ने आर्थिक तंगी और अल्प वेतन से व्यथित होकर आत्मदाह कर लिया था।
मनीष के परिवार के लिए उठाई आर्थिक मदद की आवाज
मनीष सैनी की असमिक मृत्यु हो जाने से प्रदेश के संबंध संविदा कर्मियों को गहरा आघात पहुंचा है। समस्त संविदा कर्मी राज्य सरकार की व्यवस्थापूर्ण नीतियों की निंदा की और राज्य सरकार से मांग की कि मनीष सैनी के परिवार को सामाजिक सुरक्षा और परिवार और बच्चों के पालन पोषण के लिए 50 लख रुपए की आर्थिक सहायता, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी और मृतक के बच्चों को रोजगार मिलने तक उनको निशुल्क शिक्षा, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग की।
मनीष खुद के लिए नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के संविदाकर्मियों के लिए दुनिया छोड़कर चले गए
यहां बाड़मेर से पहुंचे संविदाकर्मी खम्बारान ने कहा- मनीष खुद के लिए नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के संविदाकर्मियों के लिए दुनिया छोड़कर चला गया। आज उनकी याद में हम यहां बैठे है। हमकों यह भरोसा है भारत के अंदर कोर्ट सुनवाई करता है, लेकिन कोर्ट में ही ऐसी घटना होती है तो विश्वास तोड़ने जैसी बात है।
20 अक्टूबर पर तक सेवा नियम बनाकर स्थाई नियुक्ति दी जाए, अन्यथा होगा महापड़ाव
वहीं बाड़मेर में कार्यरत संविदाकर्मी हनुमान सिंह राजपुरोहित ने बताया- हम 1 लाख 10 हजार संविदा कर्मियों को राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 में एडोप्ट कर दिया गया। उनकों वित्तिय-प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। बस हमारा स्थाई सेवा नियम को सरकार टरका रही है। हम सरकार को चेतावनी देते है कि 20 अक्टूबर पर तक सेवा नियम बनाकर स्थाई नियुक्ति दी जाए अन्यथा संविदाकर्मी 20 अक्टूबर के बाद जयपुर में महापड़ाव डालेंगे, जिसकी जिम्मेदारी राजस्थान में भजनलाल नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की होगी।
शिक्षक अनुदेश में कार्यरत जगन सिंह गुर्जर की ब्रेन हेमरेज से मौत
जोधपुर, पीपाड़ में संविदा पर कार्यरत रामस्वरूप टांक ने बताया- मनीष सैनी के बाद आज संविदा पर कार्यरत शिक्षक अनुदेश में कार्यरत जगन सिंह गुर्जर की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। उन्होंने बताया कि जगन सिंह भी आर्थिक पीड़ा से गुजर रहे थे, संविदा पर कार्यरत होने के कारण तनावग्रस्त रहते थे। वह 2003 से कार्यरत थे। संविदाकर्मी को इतना पैसा नहीं मिलता कि वह घर चला सके, ना ही बीमारी में इलाज करवा सके। सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में अनुकंपा नियुक्ति की सुविधा दी जाती है। उनको मेडिकल की सुविधा दी जाती है। जबकि संविदाकर्मी को ना ही अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है। ना ही मेडिकल सुविधा दी जाती है।
इस मानदेय में जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी अपने घर का पांच दिन खर्चा उठाकर बताए
संविदाकर्मी परवीन बानो ने बताया- संविदाकर्मी को संविदारूपी नौकरी में हमें तिल-तिल करके मारा जा रहा है। हमें जो मानदेय दिया जा रहा है उसमें जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी अपने घर का पांच दिन खर्चा उठाकर बताए। मनीष भाई पहले व्यक्ति नहीं है जिन्होंने सरकारी व्यवस्थाओं से परेशान होकर आत्महत्या की है, इससे पहले सीकर और बाड़मेर में भी ऐसी ही संविदा कर्मियों ने आर्थिक बोझ के चलते आत्महत्या की है। आज महंगाई के वक्त में हम सिर्फ पर्याप्त मानदेय की बात कर रहे है जो हमारा जायक हक है।
संविदा कर्मी ने बताया कि पिछले सरकार में संविदा कर्मियों को नियमित/ राज्य कर्मचारी घोषित किए जाने के उद्देश्य से राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 बनाए गए थे जिसके तहत राजस्थान प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को उनके 9 वर्षीय अनुभव के उपरांत स्कैनिंग का संबंध विभाग में सरजीत किए गए पदों पर नियमित किया जाना था लेकिन सरकार के रुके रवैया के चलते अभी तक सेवा नियम तक नहीं बनाए गए हैं और नहीं नियमित किया गया है और नहीं वेतन बढ़ोतरी की गई है जिसके चलते संविदा कर्मियों के परिवार का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है संविदा कर्मी आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं इससे पूर्व भी राजस्थान प्रदेश में कई संविदा कर्मी मजबूर्णत आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन मृतक संविदा कार्मिक अपनी मजबूरी को बयां नहीं कर सकते। मनीष पिछले 19 वर्षों से राजस्थान उच्च न्यायालय में संविदा आधार पर अल्प वेतन मात्र 5600 प्रतिमा पर कार्यकर्ता राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों के उपरांत भी राज्य सरकार की ओर से मनीष सैनी को स्थाई नहीं किया गया राज्य सरकार की ओर से मनीष सैनी को स्थाई किए जाने के स्थान पर राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की गई थी राज्य सरकार की ओर से एसएलपी दायर किए जाने से मनीष सैनी को यह आवास हो गया था कि राज्य सरकार संविदा कर्मियों को स्थाई करने के पक्ष में नहीं है और बिना स्थाई हुए ही अलबेटन में परिवार का पालन पोषण किया जाना संभव होता जा रहा था इन सब बातों से व्यथित होकर मनीष सैनी ने आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ था।