अजमेर। शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू होंगे। इस नवरात्र शहर में मां दुर्गा के कॉलोनियों, मोहल्लों और गलियों में 100 से ज्यादा छोटे-बड़े पांडाल बनेंगे। जहां भक्त नाचते-गाते हुए मां अंबे को रिझाएंगे। बंगाली धर्मशाला में गंगा की शुद्ध मिट्टी, घास और कच्चे रंग से मां दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय आदि की 50 से ज्यादा प्रतिमाएं बन रही हैं। बताया जा रहा है कि बंगाली धर्मशाला में स्थापित होने वाली प्रतिमा सबसे बड़ी होगी। मुकुट धारण करने के बाद यह प्रतिमा 12 फीट की होगी। यहां बंगाल से आए कलाकार तरुण कुंडू और उनके 5 सहयोगी एक महीने से प्रतिमाओं को आकार देने में लगे हैं। तरुण कुंडू ने बताया कि उनकी 3 पीढ़ियां अजमेर के बंगाली समाज के लिए मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बनाने का काम करती आ रही है। पहले यहां केवल बंगाली समाज की ही प्रतिमा बनती थी, अब नगर निगम और अन्य संस्थाओं की ओर से भी शुद्ध मिट्टी की प्रतिमाएं बना रहे हैं। परंपरा के अनुसार वे प्रतिमा निर्माण करते हैं। घास और बांस का उपयोग इसमें किया जाता है। शहर में मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस से रावण की बगीची सहित अन्य जगहों पर भी प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं।
बंगाली धर्मशाला में विराजेगी मिट्टी से बनी 12 फीट की प्रतिमा कचहरी रोड स्थित बंगाली धर्मशाला में समाज के 100 से ज्यादा परिवार सामूहिक रूप से 97वीं दुर्गा पूजन करेंगे। धर्मशाला कमेटी के अध्यक्ष देवाशीष बिस्वास और जनरल स्क्रेट्री तरुण चटर्जी ने बताया कि 9 से 13 अक्टूबर तक होने वाले दुर्गा पूजन में हमेशा की तरह बंगाल से आए कलाकार प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। यही नहीं बंगाल के पुरोहित ही पूरा अनुष्ठान यहां बंगाल विधि विधान से करवाएंगे। पूजन कार्यक्रम षष्ठी यानी 9 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर 13 अक्टूबर तक चलेगा। बंगाली समाज का हाल ही में नवीनीकरण भी करवाया गया है, जिसमें लिफ्ट सहित एसी कमरे और अन्य सुविधाओं का विस्तार किया गया है। गीतांजली कल्चरल एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर 8 से 12 अक्टूबर शारदीय दुर्गा पूजन होगा। सोसायटी के अध्यक्ष देवव्रत दत्ता ने बताया कि इस यह कार्यक्रम वैशाली नगर केशव के उद्यान में किया जा रहा है।