जयपुर। जिले में जेडीए के 6 अधिकारी कर्मचारियों के 20 करोड़ की जमीन का फर्जी पट्टा बना दिया। जोन से डिस्पेच भी करवा दिया। मामले में शिकायत होने पर जोन-4 के अधिकारियों ने जांच की तो फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी सामने आई। सीनियर अधिकारियों को सरकारी कागजों में हुई कांट छांट की जानकारी दी गई। सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर जेडीए जोन 4 की तहसीलदार सीमा शर्मा ने गांधी नगर थाने में जोन के 6 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई हैं। रिपोर्ट में बताया- जेडीए की सबसे महंगी योजना मेट्रो एन्क्लेव में जेडीए में ठेके पर लगे दो कर्मचारियों की मिलीभगत से करीब 20 करोड़ की कीमत की दो जमीन फर्जी पट्टा बनाकर जोन से डिस्पेच करवा लिया गया। जिस फाइल के आधार पर फर्जी पट्टा बनाया, वो दिसंबर 2023 में बंद कर दी गई। यह फाइल लैंड फॉर लैंड के मामले में मुआवजे के लिए चली थी, लेकिन जोन ने भूखंडों के आवंटन करने से पहले ही रोक दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों ने एटीपी से मिलीभगत कर पहले पत्रावली गायब करवाई। फिर फर्जी पट्टा बनवाया। आरोपी फर्जी पट्टे के आधार पर इस जमीन को बेचना चाह रहे थे। तब जाकर इस मामले का खुलासा हुआ। फर्जी पट्टे का प्रकरण सामने आते ही जेडीए में हड़कंप मच गया। पता चलते ही जेडीसी आनंदी ने पूरे प्रकरण की जांच कराई। फर्जी पट्टे की हकीकत सामने आते ही जोन तहसीलदार को कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद तहसीलदार ने ठेके पर लगे एटीपी, गार्ड सहित छह आरोपियों के खिलाफ गांधी नगर थाने में मामला दर्ज करवाया है।
मेट्रो एन्क्लेव के भूखंड से जुड़ा हैं मामला
जोन 4 में बी-2 बायपास स्थित मेट्रो एन्क्लेव वर्तमान में जेडीए की सबसे महंगी योजना है। इसमें मिश्रित भू उपयोग के दो भूखंड संख्या सी-1 और सी-2 कुल 1115.90 वर्गमीटर के दो फर्जी पट्टे बनाए गए। तहसीलदार जोन 4 सीमा शर्मा ने बताया- जोन में जांच करने पर ऐसी कोई फाइल जोन में मिली ही नहीं, जिसके जरिए पट्टे जारी हुए। जबकि 9 अक्टूबर को रजिस्टर में क्रम संख्या 4033 और 4034 में डिस्पेच कर दर्ज कर दिया। इन दोनों पट्टों को उप पंजीयक कार्यालय रामपुरा डाबड़ी में रजिस्टर्ड करवा लिया। जोन अधिकारियों को इस मामले की भनक लगी तो डिस्पेच करने वाले गार्ड विनोद कुमार को पूछताछ की गई। गार्ड ने बताया- अर्बन प्लानर किशन सिंह रत्नू फाइल लेकर आया था। रजिस्टर में पट्टे डिस्पेच करवाकर फाइल वापस ले गया। फर्जी पट्टे का मामला सामने आने के बाद पत्रावली देखी तो जोन से गायब मिली। रजिस्टर में फ्लूड लगाकर कांट-छांट पाई गई। इस पर सीनियर ऑफिसर को जानकारी दी गई। इसके बाद एफआईआर दर्ज हुई।
जांच में पता चला तो 3 घंटे में फाइल लाकर दे दी
जेडीए के अधिकारियों ने गड़बड़ी सामने आने पर अर्बन प्लानर किशन सिंह रत्नू से पूछताछ की तो उसने स्वीकार कर लिया कि फर्जी पट्टे डिस्पेच उसने ही करवाया है। फाइल के बारे में पूछने पर किशन सिंह रत्नू ने 3 घंटे बाद फाइल लाकर अधिकारियों को सौंप दी। फाइल का अवलोकन करने पर पता चला कि किशन चंद वाधवानी, आसनदास वाधवानी, विजय कुमार वाधवानी, दीनदयाल वाधवानी के नाम से भूखंड संख्या सी-1 और सी-2 का फ्री होल्ड पट्टा और साइट प्लान जारी किया हुआ था। फर्जी पट्टों पर जोन उपायुक्त, सहायक नगर नियोजक और कनिष्ठ अभियंता के हस्ताक्षर भी वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों की बजाय अन्य अधिकारियों के मिले।