जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान में पहला रिमोट पायलट ट्रेंनिंग सेंटर कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के परिसर में शुरू किया गया है। अब यहां किसानों को खेती में इस्तेमाल करने के लिए ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। योजना के तहत दसवीं पास युवा काश्तकार ड्रोन की ट्रेनिंग लेकर रोजगार पा सकेंगे। 7 दिवसीय ट्रेनिंग के लिए 50 हजार रुपए फीस रखी गई है लेकिन इसमें आधी राशि राज्य सरकार खुद वहन करेगी। ड्रोन में भी सब्सिडी का प्रावधान है। ड्रोन तकनीक सीखने के बाद युवा एवं किसान ना सिर्फ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे बल्कि पानी की बचत सहित पेस्टिसाइड से होने वाले विभिन्न नुकसानों से भी खुद को सुरक्षित रख पाएंगे।
न फसल खराब होगी न ज्यादा कीटनाशक का छिड़काव होगा
ड्रोन ट्रेंनिंग के लिए कृषि विश्वविद्यालय के साथ एमओयू करने वाली कंपनी की शेल्का गुप्ता एवं विनय यादव ने बताया कि ड्रोन के इस्तेमाल से पानी की बचत का फायदा होगा। ड्रोन स्पे में पानी की मात्रा बहुत कम की जरूरत रहती है। साथ ही फसलों में अत्यधिक कीटनाशक का इस्तेमाल का ढर्रा बदल जाएगा। जितना जरूरी होगा उतना ही कीटनाशक छिड़का जाएगा। इससे हानिकारक कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव होगा। किसान को कम लेबर की जरूरत रहेगी। इससे उसको खर्च कम आएगा।
चौपाल-पंचायतों, मेलों के माध्यम से बताएंगे किसानों को फायदे
जोधपुर विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग सेंटर निदेशक डॉ प्रदीप पगारिया ने बताया कि जल्दी ही ट्रेनिंग कार्यक्रम विश्वविद्यालय में आरंभ कर दिया जाएगा। कृषि विज्ञान केंद्रों में किसान चौपाल के माध्यम से, संगोष्ठी, किसान कॉल सेंटर, किसान मेला सहित एटीक के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में यह पहला सेंटर है। जो किसान जुड़ना चाहते हैं उनके लिए वेबसाइट पर एवं ऑफलाइन भी फार्म उपलब्ध है।
इस प्रशिक्षण प्रोग्राम में लोगों को ड्रोन की मदद से सर्वेक्षण, मृदा परीक्षण, उर्वरक व कीटनाशक के छिड़काव की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से आम किसानों को खेती में फायदा होगा। लागत में कमी आएगी। अब तक स्प्रे करने का जरिया ट्रैक्टर ही होता था। उससे खड़ी फसल में स्प्रे करने से काफी संख्या में पौध जमींदोज हो जाती है। ऐसे में खेती की लागत बढ़ रही है।