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July 7, 2025 8:21 am


वन्यजीव अपराधों की गुत्थी सुलझाने में मिलेगी मदद : वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट बनने से रणथम्भौर को होगा फायदा

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

सवाई माधोपुरराजस्थान में वन्यजीव अपराधों की गुत्थी सुलझाने के लिए वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट बनाई जाएगी। यह वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट जयपुर में स्थापित की जाएगी। इसके जयपुर में स्थापित होने से सवाई माधोपुर के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व को भी फायदा मिल सकेगा। स्टेट SFL के सुपरविजन में यह उत्तर भारत की पहली हाईटेक यूनिट होगी। जिसे बनाने में करीब 14 करोड़ की लागत आएगी। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व को राजस्थान की टाइगर फैक्ट्री और राजस्थान के वन्यजीवों का स्वर्ग कहा जाता है। यहां टाइगर, बघेरा, भालू के साथ कई दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव पाए जाते है। रणथम्भौर में बहुतायत में वन्यजीव पाए जाते है। जिससे यहां वन्यजीव अपराध भी ज्यादा होते है। जिन पर वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट लगाम लग सकेगी। इसी के साथ ही यहां से टाइगर व अन्य वन्यजीवों की मौत के बाद जो सैंपल राजस्थान से बाहर भेजे जाते है, अब उन्हें जयपुर भेजा जा सकेगा। जिससे सैंपल्स की रिपोर्ट जल्दी आ सकेगी। हालांकि वन विभाग की ओर से यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती है।

रणथम्भौर में इन बाघ-बाघिनों की मौते आज भी रहस्य

31 जनवरी 2023 बाघिन टी-114 और उसके 1 शावक की मौत हो गई थी। मौत के कारणों का वन विभाग की और से खुलासा नहीं किया गया। इसी साल 8 जुलाई को रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के सबसे बड़ी टेरेटरी (50 वर्ग किमी एरिया) के मालिक बाघ टी-58 (रॉकी) की रविवार को मौत हो गई। मौत के कारणों से अभी तक पर्दा नहीं उठा है। वहीं बाघिन टी-79 के शावकों की मौत का मामला भी नहीं सुलझा है। रणथम्भौर में हाल ही में बाघ टी-86 का शव उलियाणा गांव के एक खेत में पड़ा हुआ मिला था। जिस पर भी वन विभाग मौन है। ऐसे सभी मामलों में अब वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट बनने के बाद मदद मिल सकेगी। मामले को लेकर राजस्थान के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके उपाध्याय के कहना है कि जयपुर में वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक डीएनए यूनिट बनने से राजस्थान को खासा फायदा होगा। हमे अपने सैंपल देहरादून, हैदराबाद भेजने से निजात मिलेगी। जहां देशभर से सैंपल आने के कारण पहले से ही भारी दबाव है।

Author: JITESH PRAJAPAT

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