झुंझुनूं। फेफड़ों की गंभीर बीमारी ट्यूबर क्लोसिस (टीबी) से ग्रसित मरीजों के लिए सहायता राशि बढ़ाई गई है। केन्द्र सरकार ने टीबी रोगियों के लिए निक्षय पोषण योजना में मासिक पोषण सहायता मौजूदा पांच सौ रुपए से बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दी है। उपचार की अवधि के दौरान यह सहायता राशि सभी टीबी रोगियों को दी जाएगी। इसमें पोषण के लिए मासिक सहायता राशि दोगुना कर दी गई है। कुपोषण से टीबी रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। टीबी से कुपोषण की स्थिति और बिगड़ जाती है। झुंझुनूं जिले में टीबी के रोगियों की संया लगभग 2259 हे। टीबी रोगियों में कुपोषण को दूर करने से उपचार के प्रति प्रतिक्रिया में सुधार होता है। प्रदेश के टीबी रोगियों को यह राशि हर माह करीब 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। चिकित्सकों के अनुसार जीवाणु जनित टीबी रोग के रोग के उपचार में पोषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए टीबी मरीजों के हित में यह सही निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में टीबी के 104141 और निजी अस्पतालों में 42275 रोगी पंजीकृत है।
दो किश्तों में मिलेगी
टीबी रोगियों को यह राशि 3,000 रुपए की दो किस्तों में दी जाएगी। जिसमें 3,000 रुपए अग्रिम मिलेगा। दूसरी किस्त उपचार के 84 दिन पूरे होने के बाद मिलेगी। जिन मरीजों का उपचार 6 महीने से अधिक चलेगा, उनको 1000 रुपए प्रति माह अलग से दिए जाएंगे। एनएचएम की ओर से 2018 में शुरू निक्षय पोषण योजना में बढ़ी हुई यह राशि टीबी रोगियों को एक नवबर से दी जाएगी।
दो तरह की होती है टीबी
जानलेवा बीमारी टीबी दो तरह की (पल्मोनरी और एक्स्ट्रापल्मोनरी) होती है। पल्मोनरी टीबी के लक्षणों में खांसी, बुखार, सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, खूनी बलगम, वजन में कमी और भूख शामिल हैं। इसकी पहचान थूक की जांच करके की जाती है। टीबी अन्य बीमारियों की तरह भी हो सकता है, जिससे इसका निदान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। टीबी के उपचार में काम आने वाली दवाएं बीच में छोड़ने के कारण एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) होती है। एमडीआर टीबी का इलाज लंबा, महंगा और मुश्किल होता है, जो नहीं लेने पर मरीज की जान तक चली जाती है। इसका कम से कम नौ महीने और ज्यादा से ज्यादा 20 महीने तक दवाइयों का कोर्स चलता है।