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July 8, 2025 5:09 am


‘शहीद के सामने सिर झुकाएंगे तो 95% नंबर आएंगे’ : राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त प्रेम सिंह बाजौर बोले- शहीदों से बड़ा देवता कोई नहीं

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

सीकर। राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर ने कहा- अगर स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चे शहीद की प्रतिमा के सामने सिर झुकाएंगे तो परीक्षा में 95 परसेंट नंबर आएंगे।

उन्होंने कहा- ये शहीद ही तो हमारे देवता हैं। इनसे बड़ा देवता कोई नहीं। हम इनका सम्मान करेंगे तो हमारा भला होगा। आजकल बच्चे एग्जाम में खूब नंबर ला रहे हैं। खूब पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन संस्कार भूलते जा रहे हैं।

बाजौर ने अग्निवीर स्कीम पर बोलते हुए कहा- इसमें किसी तरह की बुराई नहीं है। यह तो देश के एक्स्ट्रा सैनिक हैं। इस पर कांग्रेस और कामरेड प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं। अग्निवीर युवाओं के लिए रोजगार की अच्छी स्कीम है। जो युवा रोजगार की तलाश में घूम रहे हैं उन्हें इससे नौकरी मिलेगी।

शहीदों के 8 आश्रितों को दिए नियुक्ति पत्र दरअसल, सीकर में सैनिक कल्याण विभाग की ओर से शुक्रवार को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया गया। इस दौरान बाजौर ने शहीदों के 8 आश्रितों को अनुकंपा नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा। एक वीरांगना को 45 लाख और एक दिव्यांग को 9 हजार रुपए का चेक दिया।

बाजौर ने कहा- शहीदों और सैनिकों के परिवार के हित में सैनिक कल्याण बोर्ड यह काम करता है। सैनिकों के परिवारों की मदद करना, उनकी रक्षा करना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता। यह धर्म का काम है। सैनिक और शहीद के कारण ही हम सुरक्षित हैं। हम यहां आजादी की सांस ले रहे हैं। चाहे शहीद हो, शहीद का परिवार हो या फिर गौरव सेनानी हो, उनका सम्मान किया जाना चाहिए। इससे बड़ा मैसेज क्या हो सकता है।

अग्निवीर तो एक्स्ट्रा है, यह रोजगार की बेहतर स्कीम प्रेम सिंह बाजौर ने अग्निवीर स्कीम को युवाओं के लिए अच्छी स्कीम बताते हुए कहा- इसे लेकर कांग्रेस और कामरेडों ने प्रोपेगेंडा फैलाया है। सेना में फुल टाइम भर्ती पहले भी होती थी, अब भी होती है। अग्निवीर तो एक्स्ट्रा है। जो युवा स्कूल-कॉलेज से निकलते ही रोजगार की तलाश में होते हैं, वे सैनिक बनकर अनुभव ले सकते हैं।

उन्होंने कहा- इजराइल को ही देख लीजिए। वह देश चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा है। वहां 18 साल का होते ही नौजवान लड़के-लड़कियां सेना में चले जाते हैं। हम उजागर नहीं करना चाहते, लेकिन एक स्कीम के साथ कई तरह के विचार जुड़े होते हैं।

Author: JITESH PRAJAPAT

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