टोंक। जिले के टोडारायसिंह इलाके के भासू गांव में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी तलाकशुदा बहन को पगड़ी दस्तूर किया गया और उसे वारिश घोषित किया गया। हालांकि मृतक के 8 साल बेटा भी है, लेकिन ननिहाल वालों ने उसे पगड़ी दस्तूर के लिए भेजा ही नहीं। सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार पिता की मौत के बाद बेटे को और बेटा नहीं हो या वह किसी परिवारिक विवाद से पिता से अलग रह रहा हो तो उसके ब्लड रिलेशन के किसी सदस्य के पगड़ी दस्तूर कर उसे वारिश मानने की परंपरा है। लेकिन अब लोगों का नजरिया बदल रहा है। लोग बेटियों को भी बेटों के बराबर मानकर उन्हे वारिश मानने लगे है। भासू गांव में सेन समाज की ऐसी ही पहल देखने को मिली। यहां पिछले दिनों एक व्यक्ति की मौत हुई, जिसके एक 8 साल का बेटा है, लेकिन वह कुछ साल पहले ही पत्नी से हुए तलाक के बाद सामाजिक स्तर पर ननिहाल में है। समाज के पंच पटेल 8 साल के बेटे के पगड़ी दस्तूर करना चाहते थे, लेकिन ननिहाल से उसे भेजा ही नहीं गया। ऐसे में पंचों ने किसी अन्य ब्लड रिलेशन वाले के पगड़ी दस्तूर करने के बजाय मृतक की तलाकशुदा बहन के ही पगड़ी दस्तूर कर उसे ही सामाजिक स्तर वारिश घोषित कर दिया। इसकी समाज हीं नहीं, अन्य लोग भी सराहना कर रहे है।
9 साल पहले आटा-साटा प्रथा से हुई थी शादी दरअसल 16 नवंबर को कच्चा घर ढहने से भासू निवासी नोरत सेन (30) की मौत हो गई थी। नोरत की 9 साल पहले आटा-साटा प्रथा से शादी हुई थी। नोरत की जिससे शादी हुई थी, उसके लड़की के भाई (नोरत का साला) से नोरत की बहन की शादी करवाई गई थी। दो-तीन साल पहले नोरत और उसकी पत्नी में परिवारिक कलह के चलते अलगाव हो गया। इससे उसकी पत्नी अपने बच्चे को लेकर मायके चली गई।
इससे नाराज नोरत की बहन भी अपने बेटे को लेकर अपने मायके भासू आ गई। कुछ समय बाद दोनों पक्ष में आपसी सुलह से सामाजिक स्तर तलाक हो गया। यानि कि नोरत और उसकी पत्नी का तलाक हो गया। साथ ही नोरत की बहन का भी पति (नोरत का साला) से भी तलाक हो गया। अब दोनों के बेटे अपनी मां के साथ रहते है।
इसी बीच आर्थिक रूप से काफी कमजोर मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले नोरत की घर ढहने से 16 नवंबर को दबकर मौत हो गई। इससे परिवार सदमे में था। उसका गम कम भी नहीं हुआ कि 6 दिन बाद ही उसकी मां की वृद्धावस्था के चलते मौत हो गई। अब सामाजिक स्तर पर नोरत के वारिश के रूप में पगड़ी बांधने का दस्तूर किसके करे, इसको लेकर समाज से लेकर रिश्तेदार आदि परेशान होने लगे।
बेटी को भी बराबर हक देने की मंशा से फैसला लोगों ने नोरत के ससुराल में तलाक के बाद से पत्नी के साथ रह रहे 8 वर्षीय बेटे को लाने का प्रयास किया, लेकिन उसके पूर्व ससुराल वालों और उसकी तत्कालीन पत्नी ने बच्चे को किसी भी हाल में देने के लिए मना कर दिया। फिर लोगों में चर्चा यह भी चली कि नोरत के ब्लड रिलेशन वाले किसी के पगड़ी बंधा दे, लेकिन भविष्य में उपजने वाले विवाद की संभावना को देखते हुए और बेटी को भी बेटे बराबर हक देने की मंशा से समाज ने फैसला लिया कि नोरत के घर में रह रही उसकी तलाकशुदा बहन को वारिश बना देते है। इस पर सभी ने हां कर दी और उसके पगड़ी दस्तूर कर वारिश बना दिया। इस दौरान इस परिवार पर आए संकट को देखकर लोगों की आंखे नम हो गई।
वहीं तलाकशुदा बहन रेखा सेन ने भगवान चारभुजानाथ का आशीर्वाद लेकर इस जिम्मेदारी को संभाला। इस दौरान परिवार के बुजुर्गों ने रेखा को आशीर्वाद दिया।
भासू गांव के ही रहने वाले जाट समाज के अध्यक्ष शंकर लाल जाट ने बताया कि बेटी के पगड़ी दस्तूर कर समाज ने अच्छा कार्य किया है। इससे बेटियों को बराबर का दर्जा मिलेगा। बेटियों का सम्मान बढ़ेगा। बेटियों में आगे बढ़ने के लिए आत्मविश्वास और ज्यादा आएगा।