आपति दर्ज कराने के बाद भी जाली दस्तावेजातों के माध्यम से बड़ा अदृश्य लाभ के चलते बनाया फर्जी व जाली पट्टा….???
कोन कोन अधिकारी दलाल भुकारोबारी दलाल है शामिल क्यों प्रशासन है मोन….???
भीलवाड़ा। नगर विकास न्यास भीलवाड़ा यू तो काफी समय से भ्रष्टाचार के बड़े – बड़े खेलों को लेकर इतिहास रच रहा हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि हो रहे मुआवजे के बडे खेल को कई समाचार पत्रों ने समय – समय पर प्रकाशित किया लेकिन यूआईटी में लंबे समय से बिराजीत अधिकारी, कार्मिक व ठेका कर्मियों द्वारा बलशाली दलालों व सेवा निवृत अधिकारियों द्वारा सेवा निवृति के पश्चात लाईजनर व दलाल बनकर अधिकारियों व कार्मिको के साथ मिलकर बड़ा अदृश्य लाभ कमाने के नियत व गरज से जो हमसलाह एक राय होकर खेल खेला जा रहा हैं वो अपने आप में अविश्वर्णिय हैं…??? पिछले वर्ष 2000 से आज दिनांक तक अगर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से शहर के राज नेता या शहर के संबंधित आलाअधिकारी सत्यता से जांच कराए तो निश्चय ही एक न सोचने वाला बड़ा खुलाशा होगा न जाने किन अदृश्य कारणों के चलते सभी संबंधित मौन मुकदर्शक बने हुए हैं पुर्व में भी कई स्थानीय समाचार पत्रों ने प्रकाशित किया था कि किस तरह से बहुसंख्यक भूखण्ड जोकि करोड़ोें रुपयें के थे वो मिली भगत करके पूर्न जीवित करके पुनः बाजार में ऊचे दामों पर बेच दिये गए लेकिन आज दिनांक तक प्रकाशित खबर के बारे में न तो किसी ने संज्ञान लिया न ही कोई विधिक कार्यवाही की और न ही कोई एफआईआर दर्ज करवाई न जाने क्यों व किस दबाव में या किन बलशालियों की वजह से सरकार व उसके आलाअधिकारी यूआईटी भीलवाड़ा में हुए भ्रष्टावारी कार्यवाही कों रोकने में असक्षम व असहाय बलशाली दलालों, भूकारोबारियों के आगे बेबश व असहाय नजर आते हैं भीलवाड़ा के कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जिनमें रोडे भी नही बनी व कई कृषि काॅलोनीयों में भवन निर्मित हो गए लेकिन मुआवजा रेवडियों कि तरह बांट दिया गया…???
अभी हाल में ही यूआईटी के अधिकरियों, कार्मिकों, दलालों व बड़े भूकारोबारियों का बड़ा भ्रष्टाचारी कारनामा आया सामने लेकिन अधिकारी कर रहे हैं कार्यवाही करने से क्यों गुरेज….?? मामला इस प्रकार है कि आजाद नगर भीलवाड़ा की आराजी संख्या 3036 जोकि शहर के एक प्रतिष्ठीत व्यक्ति स्व. अमृत लाल खेमका की थी। जिन्होने अपने जीवनकाल में जरीये पंजीकृत विक्रय पत्र 5.1.1981 को कृषि भूमि भिन्न – भिन्न व्यक्तियों को विक्रय कर दी थी जिसमें से अपने बड़े पुत्र अनिल कुमार पुत्र स्व. अमृत लाल खेमका द्वारा भूखण्ड संख्या 1,2,25,26,31,32 मुल 6 भूखण्ड कृषि भूमि के रुप में दिये थे जिसके पश्चात अनिल कुमार पुत्र स्व. अमृत लाल खेमका द्वारा कृषि भूखण्ड संख्या 1 व 2 जिनकी नपती 30×40×2=2400 वर्गफीट के थे जिनका बेचान हेतु विक्रय इकरार 1,11,00,000 / (एक करोड़ ग्यारह लाख) में दिनांक 25.03.2019 को शेतान सिंह राव आत्मज राम स्वरुप राव व गोविंद गुर्जर आत्मज मनोहर लाल गुर्जर निवासी आजाद नगर भीलवाड़ा को कर दिया था और इस सदर्भ में विक्रयता अनिल कुमार खेमका का यह कहना है कि मेने उक्त संपति को न ही किसी को बेचा हैं न ही कोई विक्रय इकरार निष्पादित किया हैं।
इस मामले में क्रय करने वाली पार्टी शेतान सिंह राव आत्मज राम स्वरुप राव व गोविंद गुर्जर आत्मज मनोहर लाल गुर्जर को सुत्रो से जानकारी मिली की आप द्वारा जो भूखण्ड लिए गए है उनका किसी तीसरी व्यक्ति द्वारा नगर विकास न्यास द्वारा पट्टे की बनाने की कार्यवाही जारी हैं। जिसके चलते दोनो क्रेताओं ने दिनांक 11.04.2019 को एक आपत्ति पत्र पट्टा नहीं बनाने संदर्भ में नगर विकास न्यास भीलवाड़ा में दिया जो आवक क्रमांक 10473 दिनांक 11.04.2019 पर दर्ज हुआ। जिसके पश्चात भी नगर विकास न्यास भीलवाड़ा द्वारा दिनांक 10 जुलाई 2019 को पट्टा जारी कर प्रथम पंजीयन चांदमल राठी, मदन लाल राठी निवासी गांधी नगर के पक्ष में बिना दिनांक 11.04.2019 की आपत्ति का बिना निस्तारण किए ही तीन माह में पट्टा भी का दिया प्रथम पंजीयन भी करा दिया जिसके पिछे जब गहनता से अध्यन कर जानकारियां प्राप्त की तो मालूम हुआ कि दिनांक 17.01.1981 को कृषि भूखण्ड अनील कुमार द्वारा साधना सिंह पत्नी रघुवीर सिंह सोलंकी को विक्रय किया गया। विक्रय की राशी किस रूप में दी गई जिसका कोई हवाला भी नहीं है स्टाम्प पर बेचान करता अनील कुमार के हिन्दी के हस्ताक्षर जो कि पूर्णतया गलत है ऐसा अनील कुमार का कहना है। इसके पश्चात पांच रूपए के स्टाम्प पर बिना नोटरी कराए साधना सिंह पत्नी रघुवीर सिंह सोलंकी द्वारा दिनांक 19.02.1983 को शंकर लाल सुथार पुत्र डालू सुथार को विक्रय करना बताया इसके पश्चात पांच रूपए के स्टाम्प पर ही शंकर लाल सुथार द्वारा चांद मल राठी पुत्र मदन लाल राठी निवासी आजाद नगर को बैचना बताया इस तरह से नियमों कि धज्जिया उडाते हुए करोडो रूपए के भूखण्ड को कब्जा करने की नियत व गरज से हम सलाह एकराय होकर जाली दूषित फर्जी दस्तावेजात तैयार कराकर और नगर विकास न्यास के बडे दलाल कैलाश मुंदडा के साथ मिलकर दिनांक 10 जुलाई 2019 को रजिस्ट्री कराकर भूखण्ड पर कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं चांदमल राठी आत्मज मदन लाल राठी द्वारा पट्टा व प्रथम पंजीयन की कार्यवाही पुर्ण होते ही दिनांक 15.10.2019 को एक बक्षीस पत्र गोविंद मल राठी आत्मज मदन लाल राठी के नाम निस्पादित कर दी। नगर विकास न्यास द्वारा आनन फानन में आपत्ति को दर किनार व बिना निस्तारण के प्रथम पंजीयन दिनांक 11.07.2019 को चांदमल राठी के पक्ष में करवाया गया जिसमें जो साईड प्लान बनाया उससे स्पष्ट बडे भ्रष्टाचारी बू आती है। क्योंकि भूखण्ड का प्रकार आवसीय था और क्षेत्रफल 30×40×2=2400 वर्गफीट था जिसकी भूखण्ड संख्या नगर विकास न्यास द्वारा डब्ल्यू-112, डब्ल्यू-112/1 दिया गया था, लेकिन एक प्लाॅट को आवासीय और एक प्लाॅट को व्यवसायिक दर्शाया गया। आवासीय प्लाॅट का क्षेत्रफल 30×40= 1200 वर्गफीट था व व्यवसायिक भूखण्ड का क्षेत्रफल 25×40=1000 वर्गफीट था और साईड प्लान में कुल क्षेत्रफल 333.33 वर्गगज दर्शाया गया है। जो कि 2999.9 वर्गफीट होता है और प्लाॅट कुल 2400 वर्गफीट के थे जो कि व्यवसायिक व आवसीय करने के पश्चात 2200 वर्गफीट के रहे जाते है। जिनका साईड प्लान 2999.9 वर्गफीट का जारी कर दिया गया जिसमें पांच अधिकारी के हस्ताक्षर होते है लेकिन सामने दलाल को देखकर नतमस्तक हो जाते है। इसीतरह से यूआईटी में कई और भूखण्ड है जिनको यूआईटी भीलवाड़ा के कई नामचीन दलालो, अधिकारियों, कार्मिकों व अन्य द्वारा अपनी पहचान व बल के चलते खुर्दबूर्द कर राज्य सरकार की करोडो रूपए कि राजस्व हानी की जा रही है।
साथ ही इतना होने के बावजुद भी खरीदार द्वारा यूआईटी में मुआवजा लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था जिसको रोकने हेतु अनील कुमार द्वारा पुनः आपत्ति नगर विकास न्यास में दर्ज कराई गई जो आवक क्रमांक 59867 दिनांक 20.06.2019 पर दर्ज है देखना का विषय यह है कि इस पर भी काइे कार्रवाई हुई है या नहीं…?
इतना ही नहीं अनील कुमार द्वारा इस संदर्भ में प्रथम सूचना क्रमांक 241 दिनांक 02.05.2019 को दर्ज कराई गई थी लेकिन दलाल, भूकारोबारी, व अन्य इतने बलशाली थे की अपनी पहुच के चलते मामले को येनकेन प्रकार दबा दिया गया है। इस संदर्भ में अनीम कुमार खेमका द्वारा दिनांक 05.12.2024 को जिला कलक्टर भीलवाड़ा को व दिनांक 06.12.2024 को पुलिस अधिक्षक भीलवाड़ा, आईजी उदयपुर, महानिदेशक पुलिस राजस्थान सरकार जयपुर, सम्भागिय आयुक्त उदयपुर को पत्र लिख भ्रष्टाचारी कृत्यों व लिप्त दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर जारी पट्टा निरस्त करने के लिए निवेदन किया है।
इसमें दलाल के साथ नगर विकास न्यास भीलवाडा के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अधिकारी कार्मिक शामिल थे जिन्होने आपत्ति दर्ज होने के बाद भी पट्टा बनाने वाले के साथ मिलकर दूषित कृत्यों को अंजाम देते हुए करोडो रूपए के भूखण्ड बना दिए। जो कि एक गंभीर भ्रष्टाचार की श्रेणी में है।
लेकिन नगर विकास न्यास के आलाधिकरी व जिले के आलाधिकारी इन भूकारोबारियों, भूमाफियाओं व दलालों को बढावा देते हुए मौनमुख धारन कर पत्रावलियों को महज गुमाकर आमजनता को हैरान व परेशान करके भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद करते है….???
Author: Namaste Rajasthan PANKAJ GARG
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