बीकानेर। मूंगफली उत्पादन में पिछले सारे रिकार्ड तोड़ने के बाद अब मंडी में रफ्तार धीमी पड़ गई है। पिछले दिनों तक जहां हर रोज दो लाख बोरी पहुंच रही थी, वहीं अब ये संख्या घटकर डेढ़ लाख के आसपाास रह गई है। इसका बड़ा कारण किसानों को मूंगफली का उचित दाम नहीं मिलना माना जा रहा है।
शहर की दो प्रमुख अनाज मंडियों में मूंगफली की आवक में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। रोजाना करीब 40 हजार बोरी मूंगफली कम आ रही है। किसानों ने मूंगफली के भाव में गिरावट और बाजार-सहयोग मूल्य के अंतर को देखते हुए मूंगफली को मंडी में बेचने के बजाय उसका स्टॉक करना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह पहले तक इन मंडियों में रोजाना करीब दो लाख बोरी मूंगफली पहुंच रही थी, अब यह संख्या घटकर 1.60 लाख बोरी रह गई है। यानी रोजाना करीब 40 हजार बोरी की कमी हुई है।
मंडी में शुक्रवार को मूंगफली दाना क्वालिटी के भाव 4800 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल और सिकाई मूंगफली के भाव 5500 से 6500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहे। पिछले एक महीने में मूंगफली के दामों में लगातार उतार-चढ़ाव देखा गया है। एक सप्ताह में ही मूंगफली के भावों में करीब 500 से 800 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट हुई है।
इसलिए किसानों ने बढ़ाया स्टॉक
मूंगफली की कीमतों में गिरावट और समर्थन मूल्य व बाजार मूल्य में लगभग 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल के अंतर के चलते किसानों ने मूंगफली को बेचने के बजाय स्टॉक करना शुरू कर दिया है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में कीमतें बेहतर हो सकती हैं।
डिमांड की कमी भी बनी वजह
कच्ची आढ़त व्यापार संघ के अध्यक्ष जय दयाल डूडी एवं पूगल रोड अनाज मंडी अध्यक्ष राम दयाल सारण ने बताया कि आवक में कमी के पीछे मूंगफली की कमजोर डिमांड भी एक प्रमुख कारण है। मेघासर के किसान राम लाल मेघवाल ने बताया कि भाव गिरने और समर्थन मूल्य की अपेक्षा बाजार मूल्य कम होने से किसान वर्तमान में मूंगफली मंडियों में लाने से बच रहे हैं।