डूंगरपुर। गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में मोरन नदी के तट पर खड़गदा गांव में रिवर फ्रंट तैयार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नदियों और जल संरक्षण से प्रेरित होकर रामकथा व्यास पीठ के माध्यम से इस रिवर फ्रंट को बनाने में पूरा गांव जुट गया है। खड़गदा में बन रहा रिवर फ्रंट पूरी तरह से लोगों के जनसहयोग से बनाया जा रहा है। 2 हजार मीटर लंबे और 500 मीटर चौड़े रिवर फ्रंट पर अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है।
डूंगरपुर के खड़गदा गांव में साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर मोरन रिवर फ्रंट का काम चल रहा है। 2 हजार मीटर लंबे और 500 फीट चौड़े इस रिवर फ्रंट का काम पिछले 8 महीने से चल रहा है। अब तक इस प्रोजेक्ट पर 2.5 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। वहीं फंड जुटाने के लिए 28 दिसंबर से 5 जनवरी तक 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी व्यासपीठ के जरिए वागड़ क्षेत्र की नदी के कायाकल्प के लिए फंट जुटाया जा रहा है। जिसमें नदियों के पुर्नत्थान, पौधरोपण, जैविक खेती और सामाजिक समरसता पर जोर दिया जाएगा।
गांव की परिक्रमा कर गुजरती है मोरन नदी
मोरन नदी खड़गदा गांव की परिक्रमा करते हुए गुजर रही है। जिसका आकार शिवलिंग के जैसा है। जिसके भाल पर वागड़ का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर स्थापित है। इसलिए गांव के लिए नदी का खास महत्व है। सिंचाई और पीने के पानी के लिए पूरे क्षेत्र के लोग इसी नदी पर निर्भर हैं। इसे वागड़ की लाइफ लाइन भी कहा जाता है।
दुर्दशा देखकर कथावाचक ने लिया संकल्प
मोरन नदी में अवैध खनन और कचरा बहकर आने से नदी बेहद प्रदूषित हो गई थी। गांव की पवित्र नदी की ऐसी दुर्दशा देखकर खड़गदा गांव के प्रसिद्ध कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री ने नदी के पुनरुत्थान के लिए शिव संकल्प धारण किया। उनके इस संकल्प में ग्रामीण भी जुड़ते गए। बीते 25 सालों से बंद हो चुके गांव के नदी की ओर जाने वाले 13 मुख्य मार्गों को वापस खोला गया। नुक्कड़ों पर कब्जेशुदा जमीनों को छुड़ाया गया। नदी के किनारों पर पैदल चलना भी काफी मुश्किल था। वहां 20 फीट चौड़ी सड़कें बनाई गई हैं, जहां अब बड़े वाहन भी आसानी से गुजर रहे हैं। आधुनिक मशीनों के जरिए हजारों ट्रैक्टर कचरा निकाला गया। जिस नदी में 8 महीने पहले कूड़ा कचरा और जानवरों के अवशेष पड़े थे। उसका स्वरूप ही बदल दिया गया। महज कुछ महीनों में एक गांव की पूरी नदी का स्वरूप बदल दिया गया। पूरे काम को सिस्टेमेटिक तरीके से अंजाम देने के लिए सर्व समाज के ग्रामीण जुटे हैं। प्रोजेक्ट के तहत जनजागरूकता के जरिए पूरी मोरन गंगा को स्वच्छ बनाने का संकल्प है। जिसके लिए खड़गदा को रोल मॉडल बनाते हुए शुरुआत की गई है।
बोटिंग की तैयारी
प्रोजेक्ट की शुरुआत पहली बार 22 फरवरी को सर्वसमाज के युवाओं के श्रमदान से की। जिसमें बुजुर्ग और महिलाएं तक जुटी और सफाई शुरू कर दी, लेकिन तब महसूस हुआ कि क्षेत्र बड़ा है। इसलिए बड़े प्रयास की जरूरत है। जिसके बाद कथावाचक कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में रिवर फ्रंट की रूपरेखा बनाई गई। बीते 8 महीनों में 2.5 करोड़ से भी ज्यादा बजट खर्च कर 2 हजार मीटर लंबा नदी का रिवर फ्रंट बनाया गया है। नदी में 8 महीने पहले रेती खनन होती थी। वहां अब बोटिंग की तैयारी की जा रही है। नदी के किनारों पर साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ही आकर्षक पाथ-वे बनाए जा रहे हैं। जहां फलदार और छायादार पौधे रोपे जाएंगे। आकर्षक संस्कृतियां स्मृतियां उकेरी जाएंगी। वहीं रात में भी लोग यहां टहल सकें। इसलिए रोड लाइट का बंदोबस्त किया जा रहा है। पूरा क्षेत्र सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा।
वागड़ सरकार नाम से राम मंदिर और गौशाला भी प्रस्तावित
कथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री ने बताया कि मोरन नदी ग्रामीणों के लिए केवल नदी नहीं है। यह जीवनदायिनी है। इसलिए इसका रूप निखारने का शिव संकल्प लिया है। रिवर फ्रंट के एक ओर भव्य राम मंदिर का निर्माण भी करवाया जाएगा। इसकी खासियत यह है कि मंदिर में भगवान राम के वनवास काल की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। जिसमें भगवान राम 14 साल वन में जिन भीलों, कोल-किरात के साथ रहे। वह सारे भित्ति चित्रिकाएं बनाई जाएंगी। ताकि भविष्य में वागड़ में सामाजिक समरसता बनी रहे। मंदिर का नाम वागड़ सरकार के नाम से जाना जाएगा। वहीं एक किनारे पर गौशाला भी बनाई जाएगी। रिवर फ्रंट के किनारों पर मंदिर, गौशाला के अलावा अस्पताल और स्कूल भी संचालित किए जाएंगे। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद हम मोरन गंगा जिन-जिन गांवों से गुजर रही है। उन ग्रामीणों को आमंत्रित करेंगे और उनके सहयोग से दूसरी जगहों पर भी नदी को जीवित करने का काम करेंगे।
मुख्यमंत्री को कथा में आने का न्यौता
रामकथा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ईश्वर भट्ट ने बताया कि रिवर फ्रंट बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके लिए धन जुटाने में कमलेश भाई शास्त्री के नेतृत्व में 9 दिवसीय रामकथा महोत्सव का आयोजन 28 दिसम्बर से 5 जनवरी तक किया जा रहा है। यह देश का एकमात्र रिवर फ्रंट है, जो अभी तक पूरी तरह जनसहयोग से बनाया जा रहा है। ग्रामीणों में इस प्रोजेक्ट को लेकर कितना उत्साह है। इसका पता इसी से चल रहा है कि रामकथा के लिए 50 लोग पौथी यजमान के रूप सहमति आ चुकी है। पूर्व में नदी के कार्य को लेकर कमलेश भाई शास्त्री द्वारा जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल को योजना के बारे में बताते हुए आमंत्रण दिया है। पहले दिन मोरन गंगा के तट से 21 हजार कलशों की यात्रा निकलेगी। अब तक हुए निर्माण का अवलोकन करने और कथा का लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को आमंत्रित किया गया है। उनसे मिलकर समय भी मांगा गया है।
रिवर फ्रंट में ही एक कुएं का निर्माण किया गया है। दावा है कि यह कुंआ प्रदेश में सबसे बड़ा है। कुएं की चौड़ाई और गहराई 65 गुणा 45 फीट है। कुएं की भराव क्षमता 40 लाख लीटर पानी की है। वहीं इसमें 40 लाख लीटर की रोजाना पानी की आवक बनी हुई है। इससे नदी सूखने पर भी गांव में पीने के पानी का संकट पैदा नहीं होगा। यह पानी सर्व समाज को सुलभ होगा। युवा चंद्रेश व्यास बताते है कि क्षेत्र में पेयजल सप्लाई 3 कुओं से होती है। करीब 8 हजार 500 ग्रामीण निर्भर हैं। इन कुओं से रोजाना 5 लाख लीटर पेयजल की आवश्यकता होती है, लेकिन पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा था। जिसके बाद इस बड़े कुएं का निर्माण करवाया गया। नए कुएं में करीब 15 लाख लीटर पानी का स्टोरेज होगा, जबकि 1 किमी नदी के पेटे में 47 करोड़ 46 लाख लीटर पानी रहेगा।
कथावाचक मोरारी बापू ने की सराहना
कथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री के साथ ही गांव के लोगों ने देश के प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू, योग गुरु बाबा रामदेव और राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज सहित कई साधु, संतों को मोरन नदी के संरक्षण, स्वच्छता को लेकर किए जा रहे कामों से अवगत करवाया गया है। सभी संतों को आमंत्रण भी दिया है। संतों ने भी इस पूरे कार्यों की सराहना करते हुए लोगों से आगे आने की अपील की है।