उदयपुर। नगर विकास प्रन्यास (UIT) वर्तमान उदयपुर विकास प्राधिकरण (UDA) के तत्कालीन एक एक्सईएन और दो एईन सहित ठेकेदार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक मामले में आरोप पत्र पेश करते हुए एसीबी कोर्ट में पेश किया गया जहां से उनको जेल भेज दिया गया। मामला उदयपुर के खेलगांव स्थित महाराणा प्रताप स्टेडियम में क्रिकेट स्टेडियम निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने का है। इसमें सरकार को करीब चार करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनंत कुमार ने बताया कि महाराणा प्रताप खेलगांव चित्रकूट नगर में क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण कार्यों में अनियमितताएं होने की सूचना मिलने पर ब्यूरो की टीम FSL टीम के साथ 21 अगस्त 2010 को स्टेडियम पहुंची। वहां स्टेडियम के पूर्वोत्तर दिशा में दर्शक दीर्घा के पीछे करीब 100 फीट की दीवार ढही हुई पाई गई। स्टेडियम में बैठने की सीढ़ियों एवं दीवारों में जगह-जगह दरारें थी। मौके पर निर्माण कार्य तय मानकों के तहत नहीं होना पाया गया था। वहां पड़ी निर्माण सामग्री के नमूने लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर को भेजा। इसके बाद ब्यूरो ने 5 अक्टूबर 2010 को मामला दर्ज कर कर जांच शुरू की। साथ ही तकनीकी समिति का गठन करवाया। जांच में महाराणा प्रताप खेलगांव क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करने से संबंधित अनियमितताएं सामने आई।
अनंत कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया कि तत्कालीन अधिशासी अभियंता यूआईटी कैलाशदान सांदू, तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता यूआईटी सोहनलाल लोकवानी, तत्कालीन सहायक अभियंता देवेश शर्मा, तत्कालीन सहायक अभियन्ता, मुकेश जानी, तत्कालीन कनिष्ठ अभियन्ता विमल कुमार मेहता ने अपने पद एवं अधिकारों का दुरुपयोग किया। इसमें निर्माण कराने वाली फर्म ठेकेदार हेमराज वरदार से उचित मापदण्ड एवं गुणवत्ता के विपरीत घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग में ली। उनके बिलों का भुगतान गुणवत्ता की बिना जांच करवाए और अपने स्तर पर ही नियम विरुद्ध तरीके से एवं निविदा शर्तों की अवहेलना करते हुए ठेकेदार के रनिंग बिलों का भुगतान कर दिया। इससे राजकोष को करीब 4 करोड़ 34 लाख 41 हजार 129 रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाई गई।
मामले में आरोपी देवेश कुमार, विमल कुमार, मुकेश जानी एवं ठेकेदार हेमराज वरदार को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय के समक्ष पेश किया। न्यायालय ने सभी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए। बचे दो इंजीनियरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली है इसलिए जांच लंबित है।जानी और मेहता यूडीए से सेवानिवृत हो चुके है।
एसीबी की टीम में एएसआई गजेन्द्र गुर्जर, हैड कांस्टेबल पुष्करलाल, गुलाबसिंह, सुरेश कुमार जाट, कांस्टेबल टीकाराम, मांगीलाल, लक्ष्मण सिंह शामिल थे।