अलवर। जिले में पुलिया निर्माण के लिए 50 साल पुराने 16 मकान तोड़े जाएंगे। तोड़े जाने वाले मकानों पर लाल निशान लगा दिया गया है। वहीं कम मुआवजे के कारण मालिक घर खाली करने को तैयार नहीं है उनका कहना है- मुआवजा काफी कम दिया जा रहा है। इससे वापस मकान बनाना मुश्किल है। उन्हें जमीन भी नहीं दी जा रही है। अब चाहे जान चली जाए, मकान खाली नहीं करेंगे।दरअसल, पनियाला-बडौदामेव पर हाइवे का निर्माण चल रहा है। इस बीच अलवर में गाजूकी के पास बन रहे जलेबी चौक के कारण मकान तोड़े जाएंगे।
लोग बोले- मकान खाली नहीं करेंगे
गाजूका निवासी कृष्ण ने बताया- 1972 में हमें सरकार ने पट्टे देकर बसाया था। हम सब लोग मजदूरी करते हैं। अब हमारे मकान जलेबी चौक में आ गए। सरकार 50 लाख रुपए के मकान के 10 से 12 लाख रुपए देने में लगी है। किसी को 3 लाख तो किसी को 5 लाख देना तय हुआ है। हम इतना सा मुआवजा नहीं लेंगे। चाहे मर जाएं। महिलाओं ने कहा- हम रिक्शा चलाते हैं। खेती हमारे पास नहीं है। अब एक-एक परिवार में 3 से 5 बच्चे हैं। एक महीने पहले मकानों पर लाल निशान लगा दिए। मकानों को तोड़ने की तैयारी करने में लगे हैं। हमें जब तक उचित मुआवजा नहीं मिलेगा। तब तक हम मकान खाली नहीं करेंगे।
महिला बिमला ने कहा- 30 लाख रुपए मकान में लगा चुके हैं। एक ही मकान में तीन परिवार रहते हैं। जमीन हमारे पास नहीं है। इतने से पैसे में मकान कहां बनाएंगे। जमीन भी नहीं दी जा रही है। मजबूरी में रोड पर ढेरा डालना पड़ेगा।
विनय कुमार व दीन मोहम्मद ने कहा- जिनकी थड़ी लगी थी, उन सबको मुआवजा मिल गया। लेकिन मुझे मुआवजा नहीं मिला है। हमें तो मकान के भी 97 हजार रुपए मिले हैं। हम यहां 1972 से यहां रह रहे हैं। दीन मोहम्मद ने कहा कि सर्वे में धांधली की है।
पैसा भी सब भाइयों के खाते में नहीं दिए गए। एक परिवार में चार भाई रहते हैं तो सबको बराबर पैसा मिलना चाहिए। एक तरह से सरकार ने भाईयों झगड़े का काम कर दिया। डाल सिंह ने कहा कि दुबारा से सर्व कर मुआवजा दिया जाना चाहिए।
सरकार औसतन 6 से 7 लाख मुआवजा दे रही
ये गाजूकी पुलिया से निकलते ही पश्चिम दिशा में मकान बने हैं, जो 1972 के आवंटित हैं। धीरे-धीरे कर लोगों ने बड़े मकान बना लिए। अब नए मकान बनाने के लिए जमीन नहीं है। सरकार केवल बने हुए मकान का बहुत कम मुआवजा देने में लगी है। यहां के लोगों के अनुसार एक मकान का औसनतम 6 से 7 लाख रुपए ही मुआवजा दे रही है।