झालावाड़। जिले में नसबंदी ऑपरेशन के बाद ब्लड नहीं रुकने से एक महिला की मौत हो गई। महिला का जिले के पिड़ावा अस्पताल में मंगलवार को नसबंदी ऑपरेशन हुआ था। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने एक परिजन को संविदा पर नौकरी, दो लाख रुपए और दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया तब मामला शांत हुआ।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा थाना इलाके के अरनिया चारण निवासी मुनिया बाई (35) पत्नी ईश्वर मेघवाल ने मंगलवार को एक महिला नर्स की सलाह पर पिड़ावा में आयोजित शिविर में नसबंदी ऑपरेशन कराया था। करीब 3 बजे ऑपरेशन के बाद महिला को पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में शिफ्ट कर दिया। महिला के लगातार ब्लीडिंग होने के कारण उसकी तबीयत बिगड़ गई। इस पर मेडिकल टीम ने 108 एम्बुलेंस की मदद महिला को झालावाड़ जिला अस्पताल में पहुंचाया। झालावाड़ अस्पताल में आईसीयू में भर्ती करने के बाद भी डॉक्टरों की टीम के प्रयासों के बावजूद महिला की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और बुधवार रात को उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने पोस्टमॉर्टम से किया इनकार
महिला की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पोस्टमॉर्टम से इनकार कर दिया। इसकी सूचना प्रशासन को मिलने पर गुरुवार को एसडीएम अभिषेक चारण और सीएमएचओ डॉ. साजिद खान जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने परिजनों से बातचीत की तो उन्होंने दो प्रमुख मांग रखी। इस पर प्रशासने मृतका के परिवार के एक सदस्य को संविदा कर्मचारी के रूप में नियुक्ति और 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने पर सहमति जताई। वहीं, प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच में दोषी पाए जाने वाले चिकित्सकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद पिड़ावा थाने से एएसआई के पहुंचने पर मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम कराया गया।
एमपी की रहने वाली थी मृतका
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा थाना इलाके के अरनिया चारण निवासी मुनिया बाई (35) पत्नी ईश्वर मेघवाल नसबंदी ऑपरेशन कराने के लिए कोटड़ी में अपनी ननद के पास आई थी। ननद ने गांव में रहने वाली आशा से बात की तो उसने मंगलवार को पिड़ावा में आयोजित होने वाले शिविर में नसबंदी कराने की बात कही। इस पर मुनिया सुबह 10 बजे शिविर में पहुंच गई थी।