बाड़मेर। जिले के रीको थाने में अपने वाहन की रमेश कुमार दर्जी सूचना देने पहुंचा। जिसमें उसने अपना वाहन रीको थाना इलाके के गैराज मालिक रामाराम को देने और ट्रांसफर नहीं करने की बात बताई। रीको थाने तत्कालीन डीओ हेड कॉन्स्टेबल सवाईराम ने इस संबंध में गैराज मालिक रामाराम को फोन करके थाने बुलाया। थाने में दोनों पक्ष के आमने-सामने होने और शांति भंग के आरोप में दोनों को गिरफ्तार कर लिया। अब रामाराम ने रीको थाने के हेड कॉन्स्टेबल सवाईराम पर रुपए मांगने और मारपीट के आरोप लगाए और एसपी को शिकायत दर्ज करवाई है। हेड कॉन्स्टेबल ने कहा आरोप गलत है। एसपी को दिए ज्ञापन के अनुसार 17 फरवरी को रमेश कुमार दर्जी अपने वाहन की सूचना देने के लिए रीको थाने पहुंचा। वहां पर अपना वाहन रीको इलाके स्थित वर्कशॉप महिंद्रा फर्स्ट चॉईस के मालिक रामाराम को बेचने और उनके ओर से गाड़ी अपने नाम ट्रांसफर नहीं करने की बात बताई। रीको थाने के हेड कॉन्स्टेबल सवाईराम ने संबधित गैराज मालिक रामराम को फोन करके सूचना दी और थाने बुलाया।
रमेश कुमार और रामाराम दोनों पक्षों से पूछताछ की गई। इस दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए और शांति भंग होने पर पुलिस ने गाड़ी की सूचना देने वाले रमेश कुमार और गैराम मालिक रामाराम दोनों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना दी गई। परिजन जमानत के लिए आए। लेकिन पुलिसकर्मी ने उन्हें रातभर जेल में बैठाकर रखा। अगले दिन दोनों को कोर्ट में पेश कर जमानत पर छोड़ दिया। गैराज मालिक रामाराम ने ज्ञापन में बताया कि- रीको पुलिस थाने से डीओ सवाईराम ने फोन पर बुलाया। जिस पर वह थाने चले गए और रमेश कुमार की रिपोर्ट पर उससे बात करने लगा। थाने में बात करने पर डीओ ने ही कहा कि थाने में बात मत करो। जिस पर दोनों ही थाने से बाहर जाने लगे तो सवाईराम ने उसकी गर्दन पकड़कर अंदर लिया और मारपीट की। साथ ही रुपए देकर मामला सलटाने की बात कही। रुपए नहीं देने पर शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और रात भर जेल में बैठाए रखा।
सूचना देने आए युवक को भी डाला जेल में
अपनी गाड़ी गैराज मालिक रामाराम के पास होने के कारण और उसके ओर से गाड़ी की अपने नाम ट्रांसफर नहीं करवाने पर भविष्य में कोई परेशानी नहीं हो। इससे बचने के लिए रमेश कुमार दर्जी इसकी सूचना देने रीको पुलिस थाना गया था। रीको थाने में जाने पर उन्होंने इस संबंध में ई-मित्र पर रिपोर्ट लिखवाने की बात कहकर उसे रवाना कर दिया। ई-मित्र संचालक ने जो रिपोर्ट प्रिंट निकालकर दी उसने वह थाने में दे दी। लेकिन सिर्फ सूचना देने गए रमेश कुमार दर्जी को भी शांतिभंग के आरोप में जेल में डाल दिया। वर्कशॉप मालिक रामाराम ने कहना है कि- रमेश के पास गाड़ी ठीक करवाने के रुपए नहीं थे, जिस पर उसने गाड़ी ठीक करके उसे बेचने का कहकर अहमदाबाद चला गया था। मैंने उसे ठीक कर दिया। हमारे बीच कोई विवाद नहीं था। उसने गाड़ी बेचने के लिए दी थी तो कागज रमेश के नाम ही थे। रमेश पुलिस थाने में सिर्फ सूचना देने के लिए गया था कि कोई दुर्घटना हो तो उसकी जिम्मेदारी मेरी है। लेकिन मेरे साथ पुलिसकर्मी की ओर से मारपीट कर जेल में डाल दिया।
गाड़ी मालिक रमेश कुमार दर्जी का कहना है कि मेरी शाम को अहमदाबाद की टिकट थी और शाम को पुलिस थाने की गाड़ी की सिर्फ सूचना देने के लिए गया था। ई-मित्र संचालक ने मेरी एप्लिकेशन में जल्दी काम होने का कहकर धमकी देना लिखा। जिसकों मैंने पुलिस थाने में स्पष्ट कर दिया। साथ ही कोई भी रिपोर्ट दर्ज करवाने से मना किया। लेकिन उसके बाद भी हैड कांस्टेबल सवाईराम ने मुझे और रामाराम दोनों को शांतिभंग के आरोप में रातभर जेल में बंद किया। हैड कांस्टेबल सवाईराम का कहना है कि रमेश कुमार नाम युवक थाने आया उस समय में डीओ था। उसने रामाराम के खिलाफ रिपोर्ट दी तो रामाराम को फोन करके थाने बुलाया। थाने में आकर रामाराम और रमेश कुमार आपस में लड़ने लगे। समझाइश के बाद भ्ज्ञी नहीं माने तो दोनों को शांतिभंग में गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन जमानत मिलने के बाद रामाराम ने मुझ पर रुपए मांगने और मारपीट करने के आरोप लगाए, जो कि बिल्कुल गत है।