बूंदी। जिले के डाबी बरड़ क्षेत्र में अवैध खनन की गतिविधियां बेरोकटोक जारी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 के किनारे डाबी से बुधपुरा तक खनन हो रहा है। डाबी-बूंदी मार्ग पर भी खनन माफिया सक्रिय हैं। धनेश्वर से गुढ़ा होकर राजपुरा तक और लांबाखोह से पटपडिया तक का पूरा इलाका खनन की चपेट में है। डाबी से गणेशपुरा जाने वाली सड़कों के दोनों ओर वन क्षेत्र में भी खनन चल रहा है। राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज आम रास्तों पर माफिया ने कब्जा कर रखा है। माफिया ने करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। राजनीतिक संरक्षण के कारण वे बेखौफ होकर खनन कर रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकारों में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से स्थानीय नेताओं को अवैध खनन की छूट मिलती रही है। डाबी बरड़ क्षेत्र में कई खदानों के एग्रीमेंट समाप्त हो चुके हैं। इसके बावजूद वहां खनन जारी है। वैध और अवैध खनन एक ही जगह होने से इनमें अंतर करना मुश्किल हो गया है। खान विभाग की जांच के बिना यह तय नहीं हो सकता कि कौन सा खनन वैध है और कौन सा अवैध।
क्षेत्र की फॉर्मेन ईशा अवध का कहना है कि उन्हें इस पद पर एक साल ही हुआ है। क्षेत्र बड़ा होने के कारण वह एक साल में चार-पांच बार ही जा पाती हैं। खनिज अभियंता सहदेव सारण ने माना कि क्षेत्र में अवैध खनन की जानकारी मिल रही है। उन्होंने कहा कि सर्वेयर को नोटिस जारी कर कारण पूछा जाएगा। बरड़ क्षेत्र की खानों में दिनभर कटर मशीनों और लोडर की आवाज गूंजती रहती है। माफिया ज्यादा से ज्यादा मशीनरी लगाकर सेण्ड स्टोन का स्टॉक कर रहे हैं। तीन माह बाद बारिश में खदानों में पानी भर जाएगा, इसलिए पहले से स्टॉक तैयार किया जा रहा है। खनिज विभाग के अधिकारी यह जानने की कोशिश भी नहीं करते कि स्टॉक के ढेर कैसे लग रहे हैं।
बरड़ क्षेत्र में 639 अधिकृत खदानें हैं। इनमें से अधिकतर बंद हैं। इसकी जानकारी विभाग को भी है। फिर भी खदान मालिक और ईमित्र सेंटर मिलकर बंद खानों के रवन्ने जारी कर रहे हैं। इससे अवैध खनन को वैध दिखाकर सेण्ड स्टोन का परिवहन किया जा रहा है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि लीज की सीमा कहां तक है, इसका कोई डिमार्केशन नहीं दिखता। लीज आवंटन के समय लगाए गए चिह्न मिटा दिए जाते हैं। इससे लीजधारक सिवाय चक क्षेत्र में भी खनन कर लेते हैं। लोगों ने मांग की कि सार्वजनिक निर्माण विभाग की तरह सूचना पट्ट लगाया जाए। इसमें संबंधित सर्वेयर, अभियंता का नाम, फोन नंबर, लीज क्षेत्र और लीजधारक का नाम लिखा हो। ताकि अवैध गतिविधि होने पर शिकायत की जा सके।