भरतपुर। जिले की मथुरा गेट थाना पुलिस ने सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी शहर में लोन देने के पोस्टर लगवाते थे। जब लोग उनसे लोन लेने के लिए संपर्क करते तो, उनसे फाइल चार्ज और सिक्योरिटी के नाम ब्लैंक चेक लेते और उस ब्लैंक चेक का उपयोग कर पैसे निकाल लेते। सीओ पंकज यादव ने बताया कि 28 फरवरी को आजमखान निवासी गोपालगढ़ ने थाना मथुरा गेट ने FIR दर्ज करवाते हुए बताया था -मेरी दुकान कन्नी गुर्जर चौराहे पर है। 5 नवंबर 2024 को मेरी दुकान पर दो व्यक्ति आये। जिसमें एक व्यक्ति ने अपना नाम शैलेंद्र निवासी फतेहपुर सीकरी होना बताया। दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम निजामुद्दीन निवासी शाहगंज होना बताया। दोनों व्यक्तियों ने कहा कि हम लोग जिला उद्योग केंद्र भरतपुर में काम करते हैं। हम प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को लोन पर राशि दिलाते हैं।
उस राशि से कोई भी व्यक्ति अपना नया व्यापार शुरू कर सकता है। तब आजम खान ने कहा की मुझे व्यापार को बढ़ाने के लिए 10 लाख की जरूरत है। जिस पर दोनों व्यक्तियों ने हम आपको लोन दिला देंगे। जिसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, 10वीं की मार्कशीट, OBC प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा फाइल का खर्चा 15 हजार रुपए आएगा। मैंने ऑनलाइन दोनों व्यक्तियों को 15 हजार रुपए दे दिए। 4 जनवरी 2025 को दोनों आरोपी फिर से 3 हजार 5 सौ रुपए नकद ले गए।
आरोपी शैलेंद्र ने आजम खान से 12 दिसंबर 2024 को केनरा बैंक में खाता खुलवाया। उस खाते में आजम खान से 58 हजार 3 सौ 53 रुपए डलवाये। इसके साथ ही आजम खान के खाते का ब्लैंक चेक ले लिया। जब आजम खान ने दोनों व्यक्तियों से पूछा कि मेरे खाते में लोन का पैसा कब आयेगा तो, उन्होंने कहा की जल्दी ही आपके खाते में लोन का पैसा आ जाएगा। आजम खान ने 15 जनवरी 2025 को अपना खाता चेक किया तो, दोनों आरोपियों ने खाते से 48 हजार रुपए निकाल लिए थे। जब आजम खान ने दोनों व्यक्तियों को फोन किया उनका फोन बंद आ रहा था। जिसके बाद आजम खान ने मथुरा गेट थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई।
आरोपी बैंक और सरकारी योजनाओं के जरिए लोन दिलाने के लिए नाम पर पोस्टर छपवा कर शहर में चिपकाते थे। लोग पोस्टर पढ़कर दोनों आरोपियों से संपर्क करते थे। जिस पर दोनों व्यक्ति फाइल चार्ज के नाम पर ठगी करते थे। उसके साथ ही लोगों का बैंक में खाता खुलवाकर उसमें सिक्योरिटी के नाम पर पैसे डलवाते और ब्लैंक चेक लेकर खातों से पैसे निकाल लेते। आरोपी अपने खातों में पैसा नहीं लेते थे। वह आगरा के एक ई-मित्र वाले का क्यूआर कोड भेजकर लोगों से पैसे डलवाते थे। जिससे वह पकड़ में नहीं आ सके।