जयपुर। राजस्थान में विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनावों को लेकर प्रचार थम चुका है। इन चुनावों में प्रचार के नजरिए से बीजेपी ज्यादा सक्रिय नजर आई। दोनों पार्टियों ने 40-40 स्टार प्रचार मैदान में उतारे थे। भाजपा की ओर से वसुंधरा राजे को छोड़कर सभी स्टार प्रचारकों ने पार्टी के लिए प्रचार किया। वहीं, कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों में 36 ने प्रचार किया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, पूर्व मंत्री रामलाल जाट और राज्यसभा सांसद नीरज डांगी चुनाव प्रचार में नजर नहीं आए। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के चार दिग्गज नेताओं ने मिलकर जितनी सभा इन चुनावों में की। उतनी अकेले बीजेपी की ओर से सीएम भजनलाल शर्मा ने कर दी। कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मिलकर 14 जनसभाओं को संबोधित किया। बीजेपी की ओर से सीएम भजनलाल शर्मा ने सबसे ज्यादा 14 जनसभाओं को संबोधित किया।
वसुंधरा राजे ने प्रचार से बनाई दूरी
पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने इन चुनावों से खुद को पूरी तरह से अलग रखा। पार्टी के तमाम दावों के बावजूद राजे चुनाव प्रचार में नजर नहीं आई। वसुंधरा को पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। उन्होंने एक भी दिन पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया। राजे विधानसभा चुनावों के बाद से ही सक्रिय नहीं है। लोकसभा चुनावों में भी वसुंधरा राजे ने खुद को झालावाड़-बारां लोकसभा सीट तक ही सीमित रखा। इस सीट से उनके बेटे दुष्यंत सिंह भाजपा के प्रत्याशी थे। प्रदेश की 25 में से 24 सीटों पर राजे प्रचार के लिए नहीं गईं।
सीएम और प्रदेशाध्यक्ष ने संभाली कमान
प्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी पूरी तरह से सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने संभाली थी। दोनों सभी सीटों पर प्रचार के लिए गए थे। बीजेपी के स्टार प्रचारकों में केवल यह दोनों नेता ऐसे थे, जिन्होंने सभी सीटों पर प्रचार किया था। इसके अलावा किसी ओर नेता को सभी सीटों पर प्रचार के लिए नहीं भेजा गया था। इन दोनों के अलावा उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने 6 सीटों पर प्रचार किया था। दीया कुमारी केवल चौरासी विधानसभा सीट पर प्रचार के लिए नहीं गईं।
राजेंद्र राठौड़- सतीश पूनिया को सभी सीटों पर नहीं भेजा
पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को पार्टी ने सभी सीटों पर प्रचार के लिए नहीं भेजा। राठौड़ को केवल सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीटों पर प्रचार के लिए भेजा गया। उन्हें जाट बाहुल्य सीट झुंझुनूं और खींवसर से रणनीति के तहत दूर रखा गया। दौसा और देवली-उनियारा में भी राठौड़ का प्रचार नहीं करना चौंकाने वाला था। इसी तरह से सतीश पूनिया को भी पार्टी ने सभी सीटों पर प्रचार के लिए नहीं भेजा। सतीश पूनिया ने झुंझुनूं, देवली-उनियारा, खींवसर और रामगढ़ में पार्टी के लिए प्रचार किया। उन्हें प्रचार के लिए सलूंबर, चौरासी और दौसा नहीं भेजा गया।
कांग्रेस का कोई नेता सभी सीटों पर नहीं गया
वहीं, कांग्रेस से किसी भी नेता ने सभी 7 सीटों पर प्रचार नहीं किया। गोविंद सिंह डोटासरा ने इन चुनावों में 5 सभा की। दौसा, देवली-उनियारा, रामगढ़, खींवसर और सलूंबर में सभा की। सचिन पायलट की चार जनसभा हुईं। उन्होंने रामगढ़, दौसा, देवली-उनियारा में जनसभाओं को संबोधित किया। अशोक गहलोत ने केवल दो नामांकन सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने 25 अक्टूबर को दौसा और देवली-उनियारा में आयोजित जनसभाओं को संबोधित किया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पूरे समय खुद को रामगढ़ सीट पर सक्रिय रखा। यहां दो बड़ी जनसभा की। इसके अलावा वे केवल 25 अक्टूबर को दौसा और देवली-उनियारा में आयोजित नामांकन सभाओं में शामिल हुए। कुल 3 सभा की।