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July 6, 2025 9:31 pm


प्रियंका गांधी ने परिवार के साथ की टाइगर सफारी : बाघिन ऐरोहेड और 3 शावक आए नजर; बेटे रेहान ने कैमरे में कैद की तस्वीरें

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Pankaj Garg

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सवाई माधोपुर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने परिवार के साथ रणथंभौर में टाइगर सफारी की। जोन नंबर 3 में उन्हें बाघिन ऐरोहेड और उसके तीन शावकों की साइटिंग हुई। उन्होंने करीब 25 मिनट तक बाघिन और उसके शावकों को अठखेलियां करते हुए देखा। इस दौरान प्रियंका के बेटे ने अपने कैमरे में इस नजारे की तस्वीरें कैद की। दरअसल, प्रियंका गांधी परिवार के साथ छुट्टियां मनाने मंगलवार को दोपहर करीब 12.30 बजे रणथंभौर पहुंचीं। उनके साथ सास मोरिन वाड्रा, पति रॉबर्ट, बेटा रेहान वाड्रा, बेटी निराया भी हैं। प्रियंका का परिवार एक पांच सितारा होटल में रुका है। ऐसे में यहां पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।

बुधवार को पूरे दिन होटल में किया आराम

प्रियंका गांधी ने परिवार के साथ मंगलवार शाम की शिफ्ट में टाइगर सफारी करने निकली थीं। उन्होंने बुधवार को सुबह और दोपहर की पारी में टाइगर सफारी नहीं की। इस दौरान उन्होंने होटल में आराम किया। सूत्रों के अनुसार गुरुवार सुबह की पारी में प्रियंका गांधी फिर सफारी कर सकती‌ हैं।

रणथंभौर में बर्थडे सेलिब्रेट कर चुकी हैं प्रियंका

इससे पहले भी प्रियंका गांधी वाड्रा रणथंभौर में अक्सर आती रही हैं। वह अपना बर्थडे भी रणथंभौर में सेलिब्रेट कर चुकी हैं। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के साथ रणथंभौर में रुकी थीं।

रणथंभौर में फिलहाल 75 बाघ-बाघिन और शावक

रणथंभौर में फिलहाल 75 बाघ-बाघिन और शावक हैं। रणथंभौर में 1 अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू हुआ है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में कुल 10 जोन हैं। इनमें दो पारियों में टाइगर सफारी होती है। सुबह‌ की पारी में सफारी सुबह 6 से 9 बजे तक होती है। शाम की शिफ्ट में सफारी दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक होती है। रणथंभौर में 1 अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू हुआ है।

600 करोड़ रुपए का टूरिज्म अकेले टाइगर से रणथंभौर टाइगर रिजर्व:

यह देश के सबसे लोकप्रिय टाइगर रिजर्व में से एक है, जो न केवल टाइगर बल्कि अन्य वन्यजीवों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। साल 2024 में यहां से लगभग 600 करोड़ रुपए का राजस्व होने की उम्मीद है।

जवाई बेरा कंजर्वेशन रिजर्व:

यहां 50 से अधिक लेपर्ड हैं। यह क्षेत्र अपनी अनोखी लेपर्ड सफारी के लिए प्रसिद्ध है। इसका अनुमानित राजस्व करीब 150 करोड़ रुपए है।

प्रियंका गांधी ने किताब में किया जिक्र

पिछले 12 साल से प्रियंका गांधी अपने दोनों बच्चों के साथ हर साल रणथंभौर पार्क में आ रही हैं। वे अब तक हजारों फोटो यहां के टाइगर की खींच चुकी हैं और उन्होंने एक किताब में भी रणथंभौर के बाघों का जिक्र किया है। प्रियंका इस साल भी अप्रैल में यहां आई थीं।

प्रियंका के बेटे रेहान वाड्रा ने तो रणथंभौर से खींचे फोटोज की एक प्रदर्शनी भी लगाई थी और प्रियंका गांधी ने एक किताब The tiger’s realm लिखी है। हिंदी में इसे बाघ की राजधानी कहते हैं।

राजीव गांधी के नाम पर होता रणथंभौर पार्क

रणथंभौर पार्क पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बेहद पसंद था। वे सोनिया गांधी से शादी के तुरंत बाद रणथंभौर आए थे। इसके अलावा भी वे यहां कई बार आए। उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए रणथंभौर के लिए कई काम कराए। साल 1998 से 2003 के बीच अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान के CM बने तो उन्होंने रणथंभौर नेशनल पार्क का नाम राजीव गांधी के नाम पर करने की मंशा जाहिर की, लेकिन विपक्षी पार्टी भाजपा की ओर से विरोध जताए जाने पर विवाद से बचने के लिए गहलोत ने अपना इरादा टाल दिया था।

रणथंभौर में 75 टाइगर

रणथंभौर नेशनल पार्क 1700 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां 75 बाघ, बाघिन और शावक हैं। एक बाघ को लगभग 35 किलोमीटर टेरेटरी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यहां 50 बाघ रह सकते हैं। यानी रणथंभौर में 25 बाघ-बाघिन क्षमता से अधिक हैं।

राजस्थान में 100 से ज्यादा टाइगर

राजस्थान में वर्तमान में टाइगर की संख्या 100 से ज्यादा है। देश भर में इनकी संख्या करीब 3200 है। राजस्थान की कहानी इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि राजधानी जयपुर सहित 1970-72 तक राज्य के लगभग 17 जिलों में टाइगर की मौजूदगी थी।

यह मौजूदगी धीरे-धीरे घटती हुई 2005 में केवल एक ही जिले सवाई माधोपुर (रणथंभौर) तक सीमित रह गई। शेष सभी जिलों से टाइगर का सफाया हो गया। 2010 के बाद शुरू किए गए प्रयासों से आज फिर से यह स्थिति बनी है कि अब राजस्थान के 5 जिलों में कहीं न कहीं टाइगर मौजूद है। इन जिलों में अलवर, करौली, कोटा, बूंदी और उदयपुर शामिल हैं। इन सभी टाइगर का पैतृक घर रणथंभौर ही है। देश भर में लगभग 53 टाइगर पार्क हैं।

Author: JITESH PRAJAPAT

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