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July 7, 2025 3:18 am


न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो मूंग की खरीद : किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जताया विरोध, सौंपा कलेक्टर को ज्ञापन

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Pankaj Garg

सच्ची निष्पक्ष सटीक व निडर खबरों के लिए हमेशा प्रयासरत नमस्ते राजस्थान

अजमेर। जिले में किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध जताया और मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद करने की मांग की। बाद में कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री के राजस्थान आने पर ज्ञापन सौंपा जाएगा। बता दें कि अपनी मांगों को लेकर किसान नसीराबाद में धरना दे रहे थे और आज अजमेर पहुंचे। किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर बताया कि अजमेर एक मूंग उत्पादक जिला हैं। इस वर्ष प्रकृति की मार से मूंग की उपज प्रभावित हुई है। जिनके मूंग की पैदावार हुई, उनको भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ रहा है। नसीराबाद में खरीदे गए मूंग को वेयरहाउस में जमा नहीं करने से किसानों के करीब 77 लाख का भुगतान रुका हुआ है तथा खरीद बंद होने से किसानों के मूंग की तुलाई नहीं हो रही हैं।

वेयरहाउस द्वारा मूंग जमा नहीं करने पर समिति द्वारा गुणवत्ता संबंधी विवाद के निस्तारण के लिए कमेटी की बैठक 30 नवम्बर को हुई, जिसमें कमेटी सदस्य नैफेड, वेयरहाउस मैनेजर तथा राजफैड के प्रतिनिधि अनुपस्थित रहे थे, जिससे समिति कोई निर्णय नहीं कर पाई। ऐसा सेवा नियमों के विरूद्ध होने के साथ जनहित विरोधी है। इस वर्ष का खरीद का लक्ष्य भी 11.41 प्रतिशत निर्धारित किया किया है जो कि आधे से कम हैं।

दलहनों में अरहर, मसूर एवं उड़द के संबंध में 25 प्रतिशत से अधिक खरीद नहीं करने के प्रावधान समाप्त कर दिए हैं, किन्तु मूंग व चना का प्रतिबंध अभी भी यथावत है, जो कि जनहित में नहीं हैं। एक ओर तो सरकार दालो का आयात करती हैं तथा दूसरी ओर देश की दलहनों की उपजो का घोषित न्यनूतम समर्थन मूल्य देने की समुचित व्यवस्था नहीं करती है। इसी प्रकार प्रकृति की मार के कारण मूंग सहित अन्य खराब हुई फसलों का बीमा क्लेम की राशि का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है।

भारत सरकार में किसी भी किसान की न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर उनकी उपजो के बेचान के लिए विवश नहीं होने संबंधी आश्वासन संसद में दिया हुआ है, फिर भी किसानों को प्रति क्विंटल तीन हजार रुपए घाटे पर अपने मूंग को बेचने को विवश होना पड़ रहा है। सभी किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर तुलाई के लिए टोकनों की सीमा को बढ़ाने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए । माह सितम्बर, अक्टूबर एवं 15 नवम्बर तक 5 लाख 38 हजार क्विंटल मूंग मंडियों में आ चुका हैं। जिसका अनुमानित घाटा 90 करोड़ से अधिक हैं। इस घाटे की भरपाई की जानी चाहिए। अत: मूंग खरीद के आदेश दिए जाए, अन्यथा मजबूर होकर प्रधानमंत्री के राजस्थान आने पर ज्ञापन देने के लिए मजबूर होना पडे़गा। इस दौरान किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Author: JITESH PRAJAPAT

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