प्रतापगढ़। एंटी टास्क फोर्स की टीम को दो महीने पहले भोपाल (मध्यप्रदेश) में एमडी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ने के बाद इसके तार राजस्थान से जुड़े होने का इनपुट मिल गया था। प्रतापगढ़ में अरनोद के देवल्ड़ी गांव में सोमवार को 40 करोड़ रुपए की एमडी ड्रग्स पकड़ी। फॉर्म हाउस में बनी फैक्ट्री से ड्रग्स बनाने के उपकरण और हथियार भी बरामद किए। कार्रवाई के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच फायरिंग की घटना भी सामने आई, हालांकि पुलिस ने फायरिंग की पुष्टि नहीं की है।
प्रतापगढ़ के देवल्ड़ी और अखेपुर गांव से पहले अफीम और डोडा चूरा की तस्करी की जाती थी, लेकिन बड़े मुनाफे के लिए इसका ट्रेंड बदल गया। तस्कर अब एमडी ड्रग और ब्राउन शुगर की तस्करी कर रहे हैं। ड्रग्स फैक्ट्री से राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात तक सप्लाई की जाती थी, जिसका पैसा हवाला के जरिए लिया जाता था।
दो महीने पहले मध्यप्रदेश में एमडी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ने के बाद प्रतापगढ़ (राजस्थान) के शोएब लाला का नाम सामने आया था, जो पूरे नेटवर्क को ऑपरेट करता है। भोपाल में कार्रवाई के दो दिन बाद ही 8 अक्टूबर को अखेपुर गांव (प्रतापगढ़) से मुख्य सरगना शोएब के रिश्तेदार की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। एक तस्कर को पकड़ लिया गया था, लेकिन उसका भाई फायरिंग कर फरार हो गया था।
ऐसे सामने आया राजस्थान का कनेक्शन
बता दें, 6 अक्टूबर को भोपाल के बगरोदा में एनसीबी और गुजरात एटीएस ने एमडी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ने के बाद प्रतापगढ़ जिले के देवल्ड़ी गांव के रहने वाले सरगना शोएब लाला का नाम सामने आया था। कार्रवाई के दिन ही दो आरोपी महाराष्ट्र के सान्याल बाने और अमित चतुर्वेदी को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया गया था। दोनों से पूछताछ में मंदसौर के तस्कर हरीश आंजना के बारे में पता चला। एनसीबी ने मंदसौर से आंजना की गिरफ्तारी की। इसके बाद 9 दिन तक तीनों से अलग-अलग और एक साथ पूछताछ की गई।
तीनों ने पूछताछ में बताया कि भोपाल में एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री बनाने का आइडिया शोएब लाला का था। फैक्ट्री में बनने वाला ड्रग्स मंदसौर के रास्ते दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा था। भोपाल में फैक्ट्री को लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी कि एनसीबी और दूसरी जांच एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगती। दूसरा – यहां से दूसरे राज्यों में ड्रग्स पहुंचाना आसान था।
हरीश आंजना ने बताया था कि शोएब लाला राजस्थान से ही पूरे नेटवर्क को ऑपरेट करता है। वहीं जांच में सामने आया कि प्रतापगढ़ के देवल्ड़ी गांव में लंबे समय से एमडी ड्रग्स की सप्लाई हो रही है। याकूब पुत्र फकीर गुल और जमशेद पुत्र फकीर गुल, शाहिल पुत्र सलीम दोनों नशे की तस्करी कर रहे हैं। जिनके खिलाफ पहले से एनडीपीएस एक्ट में कई मामले दर्ज हैं।
डोडाचूरा और अफीम तस्करी में होता है हवाले के जरिए लेन-देन
प्रतापगढ़ में डोडाचूरा और अफीम तस्करी में तस्करों के बीच हवाले के जरिए लेन-देन होता है और लग्जरी गाड़ियों में तस्करी की जाती है। मारवाड़ के तस्कर जिले के तस्करों से संपर्क करते हैं और अफीम और डोडाचूरा खरीदते हैं। इसके बाद पैसा हवाले के जरिए दिया जाता है।
अफीम की खेती करने वाले किसानों को नारकोटिक्स विभाग की ओर से अफीम के बदले केवल 1,000 से 1,500 रुपए प्रति किलो का भुगतान किया जाता है, जबकि तस्कर उन्हें 1 से 1.5 लाख रुपए देते हैं। डोडाचूरा के लिए भी अच्छी कीमत मिलती है। सरकारी दर के बजाय अफीम में मार्जिन बहुत बड़ा होने और ज्यादा कमाने का लालच ही तस्करी को बढ़ावा देता है। डोडाचूरा उत्पादन का कोई हिसाब नहीं है, इसलिए इसकी तस्करी का सही अनुमान नहीं लगता।
अफीम, डोडाचूरा की जगह एमडी और ब्राउन शुगर की तस्करी
प्रतापगढ़ में अफीम और डोडाचूरा की तस्करी के मामलों में बड़ा बदलाव आया है। अब तस्कर एमडी और ब्राउन शुगर की तस्करी भी कर रहे हैं। देवल्ड़ी और अखेपुर के तस्करों द्वारा पहले अफीम और डोडाचूरा की तस्करी की जाती थी, लेकिन अब उन्होंने अपना ट्रेंड बदल दिया है। वे मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों के युवाओं को ड्रग्स का एडिक्ट बनाने के लिए ब्राउन शुगर के साथ-साथ एमडी की तस्करी करते हैं। अफीम और डोडाचूरा अब मारवाड़ के तस्कर जिले के सप्लायरों से खरीदकर ले जाते हैं।
अखेपुर से पकड़े थे सरगना के रिश्तेदार
मध्यप्रदेश में फैक्ट्री पकड़ने के दो दिन बाद 8 अक्टूबर को अखेपुर गांव में कार्रवाई हुई थी। प्रतापगढ़ पुलिस की टीम ने दबिश देकर आरोपी रफीक को गिरफ्तार किया था। उसके भाई गुलनवाज ने पुलिस पर फायरिंग की और भाग गया था। दोनों आरोपी मुख्य आरोपी शोएब लाला के रिश्तेदार हैं।
अखेपुर गांव में ड्रग्स का बड़ा कारोबार चल रहा है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स की सप्लाई की जाती है। पुलिस जब भी आरोपियों की तलाश में आती है, तो यहां के तस्कर घर की महिलाओं को आगे कर देते हैं।