जोधपुर। जिले में राष्ट्रीय नाट्य स्कूल रंग मंडल की ओर से चल रहे तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव का समापन रविवार रात जयनारायण व्यास स्मृति भवन टाउन हॉल में हुआ। जिसमें बाबूजी नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से एक व्यक्ति यानी बाबूजी का कला के प्रति प्रेम और उसके बाद उनके जीवन में आई परेशानियों के बारे में बताया गया।
बताया कि बाबूजी के जीवन में सामाजिक जिम्मेदारियां के साथ-साथ वो अपने अंदर के कलाकार को भी जीवित रखना चाहते हैं। नौटंकी जैसी लोकनाट्य में उनका मन रमता है पर उनकी इसी नौटंकी के प्रति प्रेम के कारण उनका अपना पारिवारिक जीवन भी बिखर जाता है।
इसके चलते उसकी पत्नी, बेटा, उसके अपने साथी और समाज के लोग भी उसका साथ नहीं देते और उसे अपने ही घर से बाहर कर दिया जाता है। उसके बावजूद बाबूजी का कला के प्रति समर्पण और प्रेम कम नहीं होता। यह इस नाटक के माध्यम से बताया गया।
नाटक में तबले और हारमोनियम पर लोक संगीत की मिठास ने श्रोताओं को आनंदित कर दिया। मिथिलेश्वर की ओर से लिखित व विभांशु वैभव की ओर से इसका नाट्य रूपांतरण किया गया जिसका निर्देशन राजेश सिंह ने किया। नाटक में एक कलाकार की जिंदगी में आए बदलाव को लेकर रंग कर्मियों ने अपने अभिनय के साथ बताया।
जिसमें यह संदेश दिया कि आज भी समाज का एक अलग तबका कलाकारों के प्रति अलग सोच रखता है। समाज में आज भी एक कलाकार को अपनी जिंदगी में संघर्ष से गुजरना पड़ता है।
नाटक में बाबूजी की भूमिका राजेश सिंह ने निभाई। वही शिल्पा भारती ने कौशल्या, मजीबुर रहमान ने बड़काऊ, सत्येंद्र मलिक ने छोटकू, नवीन सिंह ठाकुर ने जगेसर, पोटशंगबम रीता देवी ने सुरसती, शिव प्रसाद गौड़ ने काका और धनपत, बिक्रम लेपचा ने लच्छू, उत्सव ने कालिदीन, ताबिश खान ने दरोगा, मधुरीमा तराफदर ने बसंती, प्रतीक बदेरा ने फरेबी की भूमिका निभाई।
जबकि ग्रामीणों की भूमिका में मोतीलाल खरे, सतीश कुमार, नारायण रमेश पंवार, समीर जीवन रामटेके और अनंत शर्मा ने बेहतरीन अभिनय किया। वहीं समापन पर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा रंगमंडल के चीफ राजेश सिंह ने अकादमी सचिव सरिता फिड़ौदा, रमेश कंदोई, राहुल बोडा व हीरालाल का सम्मान किया।