शाहपुरा (किशन वैष्णव)। क्षेत्र के प्रसिद्ध आनणा देवनारायण मंदिर प्रांगण में विष्णु के अवतार भगवान देवनारायण की 1113 वीं जयंती पर विशाल मेले का आयोजन हुआ।लोक देवता भगवान देवनारायण की जन्म जयंती धुम धाम से मनाई गई।सोमवार रात्रि को कलाकारो द्वारा भजनो कि रसगंगा बहाई गयी। बिलिया गांव के देवनारायण मंदिर से घोड़ियों और बैंड बाजे सहित अनेक कार्यक्रमों के साथ भगवान देवनारायण के झंडे के साथ शोभायात्रा रवाना हुई जो मेला स्थल आनणा देवनारायण मंदिर पहुंची।शोभायात्रा में सैकडो श्रद्धालु नाचते हुए पहुंचे।शोभायात्रा में अनोखे तरीके से घोड़ी नृत्य करवाया गया।वार्षिक मेले में दुर दराज से श्रृद्धालुओ ने मंदिर में श्रृंगारित देवनारायण भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। देवनारायण सेवा समिति द्वारा मेले के दौरान उतम व्यवस्था बनाई रखी। मौके पर पद दंगल में गायन मंडलियों के कलाकारों व राजस्थानी लोकगीतों और नृत्य के साथ धार्मिक रचनाओं की प्रस्तुति दी। मेले में तरह-तरह के झूले, लजीज व्यंजनों व लगभग जरूरी सामान की दुकानों पर लोगों की भीड़ रही। लोग पूरी तरह मस्ती के मूड में थे। बच्चे तो मेले का मजा उठाने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे। रंग-बिरंगे खिलौनों और गुब्बारों की दुकानों पर वे मचल उठे। तमाशे देखने और झूलों का आनंद उठाने में उन्होंने खूब रुचि ली। बिसाता और सौन्दर्य प्रसाधन की दुकानों पर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं की भीड़ थी। लजीज व्यंजनों के स्टालों पर लोग अच्छी खासी तादात में चटखारे ले रहे थे। मेले में चाइनीज से लेकर साउथ इंडियन व्यंजनो की दुकानें सजी थीं। जगह-जगह गरम-गरम जलेबी और पकौड़ी भी छन रही थी। घरेलू जरूरत में चटखारे ले रहे थे। मेले में चाइनीज से लेकर साउथ इंडियन व्यंजनो की दुकानें सजी थीं। घरेलू जरूरत के लिए भी ढेरों दुकानें सजी थीं। इन पर कैंची, छलनी, चिमटा, बाल्टी, कप प्लेट और ट्रे बिक रहे थे। देर शाम तक चले इस एक दिवसीय मेले में क्षेत्र के आस पास गांवो सही सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।देवनारायण के पुजारी रामेश्वर जाट व देवकिशन ने बताया की वार्षिक मेला हर्षोल्लास से मनाया गया साथ ही अखाड़ा मंडल द्वारा अखाड़ा प्रदर्शन किया गया।
आनणा में भगवान देवनारायण ने मालासेरी जाते समय रात्रि विश्राम किया।
भगवान देवनारायण घोड़ी लेने अपने छोथू भाट के साथ अजमेर जिले के सांवर घोड़ी लेने गए जहा से पुन:लौटते समय मालासेरी जाते वक्त रात्रि विश्राम किया।जिनके कई आकृतिया व सबूत यहां पाए जाते हैं।भगवान देवनारायण के भाले से खोदी गई कुड़ी जिसमे आज भी पानी आता है।तथा भगवान देवनारायण के घोड़े की लोटण के पदचिन्द आज भी यहां दिखाई देते है।
देवनारायण ने बाज्या (जाट) समाज के बुजुर्ग के सपने में आकर दर्शन दिए।
पुराणिक कथाओं और जाट समाज के लोगो का कहना है की भगवान आनणा देवनारायण 1551 ई.से पूर्व गाय चराने वाले जाट समाज के एक ग्वाले के सपने में आए थे और कहा था की मेरी पूजा अर्चना करेगा तो तेरी गाय कभी भूखी नही रहेगी।जिसके बाद जाट समाज के व्यक्ति ने भगवान देवनारायण के घोड़े के पदचिन्हों को पूजने लगा। जिसके बाद भगवान देवनारायण फिर सपने में आए और कहा की मंदिर निर्माण करवा और टॉक और टोडा के पत्थर लगवा,पैसे मेरे धूपारणा के नीचे से ले लेना तो इस प्रकार भगवान देवनारायण की स्थापना हुई और आज भव्य वार्षिक मेला लगता है।सैकडो श्रद्धालुओ की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।