रामगंज मंडी (कोटा)। कोटा में जाम में फंसने से 3 साल के बच्चे की मौत हो गई। बच्चा बीमार था। उसके माता-पिता हॉस्पिटल लेकर जा रहे थे लेकिन जाम में फंस गए। करीब 3 घंटे तक जाम में फंसने के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया। पिछले 15 दिन में इस तरीके की दूसरी घटना है। इससे पहले एंबुलेंस फंसने से मरीज की मौत हो गई थी। चेचट भटवाड़ा निवासी पप्पू लाल ने बताया- उनके तीन साल के बेटे हरिओम को सर्दी-जुकाम और बुखार की शिकायत थी। सोमवार सुबह चेचट हॉस्पिटल में इलाज कराया गया। हालत में सुधार नहीं हुआ। सुबह 7 बजे बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उसे निजी वाहन से कोटा लेकर जा रहे थे।
भटवाड़ा से अमझार पुलिया और सुंदरपुरा चौक के बीच जाम में 3 घंटे तक फंसे रहे। पुलिस से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। जाम से निकलने के बाद जब वाहन मंडाना पहुंचा, तब तक बेटे ने दम तोड़ दिया।
पिछले 15 दिन में यह दूसरी मौत है। इससे पहले खैराबाद निवासी अमीन टेलर की भी जाम में मौत हो गई थी। हार्ट अटैक के बाद उन्हें कोटा रेफर किया गया था। एंबुलेंस दो घंटे तक जाम में फंसी रही और मरीज ने जाम में ही दम तोड़ दिया। दरा नाला में सिंगल लेन को पार करने में रोजाना 3-4 घंटे का जाम लगता है। यह जगह मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। परिवार का कहना है कि अगर समय पर जाम से निकल पाते तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से गुजरता है रास्ता
नेशनल हाईवे-52 (दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे) मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, दरा के बीच से होकर गुजरता है। यहां हाईवे पर सिंगल लेन रेलवे अंडरपास बना हुआ है, जिसे दरा नाला कहा जाता है। सिंगल लेन होने के कारण बार-बार ट्रैफिक रोककर दूसरी दिशा के वाहनों को निकाला जाता है। ज्यादा ट्रैफिक होने पर कई बार 12-12 घंटे तक जाम लगा रहता है। लेकिन जनप्रतिनिधियों ने अभी तक इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के निर्देश पर हाईवे पर दिन-रात जाम की समस्या को देखते हुए ट्रैफिक नियमों की पालना कर अस्थायी डिवाइडर लगाए गए, ताकि रोड के किनारे वाहनों का जाम न लगे। वहीं, 24 घंटे पुलिस की अस्थायी चौकी भी स्थापित की गई है। लेकिन सिंगल लेन होने के कारण आमतौर पर 2-3 घंटे का जाम बना ही रहता है।