बाड़मेर। बाड़मेर कंज्यूमर कोर्ट ने बच्चे का हाथ सही नहीं जोड़ने के मामले में बाड़मेर जोईंट्स एंड डेंटर केयर हॉस्पिटल पर 3 लाख 66 हजार 3 सौ 50 रुपए का क्षतिपूर्ति क्लेम देने का आदेश जारी किया है। एक माह में भुगतान नहीं करने पर क्षतिपूर्ति राशि पर 9 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा। मामला साढ़े तीन साल पुराना है। कोर्ट ने 3 मार्च को आदेश जारी किया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के रीडर कमलेश विश्नोई ने बताया- पीड़ित ने एक परिवाद कोर्ट में पेश किया था। जिसमें बताया कि 31 दिसंबर 2021 को उसके चार साल के बेटे का फिसलने से हाथ फैक्चर हो गया। परिवादी बाड़मेर जॉईट्स ट्रोमा एंड डेंटल केयर हॉस्पिटल में डॉक्टर सुरेंद्र चौधरी से चैकअप करवाया। इस पर डॉक्टर ने कच्चा प्लास्टर करके आश्वासन दिया कि हाथ पहले जैसा ठीक कर दूंगा, कही जाने की की आवश्यकता नहीं है। कुछ दिन बाद का हाथ प्लास्टर खोलने पर देखा गया कि हाथ तिरछा/टेडा जुड़ा बताया गया। इस पर परिवादी ने डॉक्टर सुरेंद्र चौधरी को लापरवाही पूर्ण ढंग से हाथ का इलाज करने तथा हाथ तिरछा जुड़ने व हाथ पहले जैसा सही न होने को कहा तो डॉक्टर ने कहा कि अब तुम्हारें बेटे के हाथ का बड़ा ऑपरेशन करना पड़ेगा। जिसका खर्चा पांच लाख आएगा। इस पर परिवादी ने डॉक्टर सुरेंद्र सिंह के हाथ पहले जैसा होने की गारंटी देने का कहा तो डॉक्टर सुरेंद्र सिंह नाराज हो गए। आवेश में आकर परिवादी के साथ गाली-गलौच करते हुए परिवादी और उसके बेटे को धक्के देकर बेईज्जत किया गया। हॉस्पिटल प्रबंधक डॉ. रूचि चौधरी से शिकायत की तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला। साठ गाठ कर बेटे का सही इलाज नहीं किया।
परिवादी के बेटे का हाथ टेढ़ा रह गया जो अब जिंदगी भर हाथ टेडा ही रहेगा। इस कारण परिवादी के बेटे को भविषय में कार्य करने व अच्छी सरकारी सेवा व बेल्टबंद सरकारी सेवा आदि में जाने से पूर्ण वंचित हो गया। डॉक्टर की कमी व लापरवाही के कारण पीड़ित को फिजिकली और मानसिक ओर आर्थिक रूप से नुकसान हुआ। आयोग ने लगाया 366350 रुपए की क्षतिपूर्ति इस पर आयोग अध्यक्ष शंकरलाल पुरोहित, सदस्य स्वरूप सिंह राठौड़, सरीता पारिक ने डॉक्टर सुरेंद्र चौधरी को बच्चे के इलाज के दौरान हुए खर्चे के लिए 1 लाख 56 हजार 350 रुपए मय ब्याज एवं परिवादी व्यय के 10 हजार रुपए शारीरिक व मानसिक के 2 लाख रुपए अलग से देने के आदेश जारी किए। आदेश में रुपए एक माह के अंदर नहीं दिए गए तो 9 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिए है। परिवादी की ओर से पैरवी वकील डूंगरसिंह महेचा और विप्रार्थी की ओर से वकील गंगाराम विश्नोई ने की।